स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासियों की महत्वपूर्ण भुमिका रही है – महेन्द्र नेताम
मैनपुर – तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर से 02 किमी दूर लालगढ़ में आज रविवार को आदिवासी युवा प्रकोष्ठ द्वारा अमर शहीद आदिवासी योध्दा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की शहादत दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और 1857 की क्रंाति में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले इन महान योध्दाआंे को याद कर आदिवासी रिती रिवाज से पुजा अर्चना किया गया उनके बताए रास्तों पर चलने का संकल्प लिया गया।
इस दौरान कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आदिवासी नेताम महेन्द्र नेताम ने स्वतंत्रता ंसग्राम के दोनो बलिदानियों के बारे मे विस्तार से बताते हुए कहां इन बलिदानियों ने अपने शौर्य एवं प्राणों की आहुति दी इनके बलिदान के कारण हम स्वाभीमान से खड़े है, अपनी मातृभूमि को अंगे्रजो से स्वतंत्र कराने के लिये उन्होने युध्द का आव्हान किया था और इस स्वतंत्रता संग्राम मे रघुनाथ शाह ने अपने पिता का बढ़चढ़ कर सहयोग किया था।
देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराने अंग्रेजो के विरूध्द छापामार युध्द एवं लेखन कविता के माध्यम से आजादी की चिंगारी को मध्य भारत मे जलाया और देखते ही देखते पूरे क्षेत्र मे इसकी लहर दौड़ पड़ी 18 सितंबर 1857 को अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते पिता पुत्र को तोप के मंुह मे बांधकर उड़ा दिया गया इस तरह उन्होने देश के लिये अपने प्राणो की आहूति दी आज पूरा देश उनकी शहादत को याद कर रहा है। इस मौके पर प्रमुख रूप से आदिवासी नेता महेन्द्र नेताम, प्रताप मरकाम, धनसिंह नेगी, पदम नेताम, परमेश्वर नेताम, चंद्रसेन नेताम, दौलत राम, पुजारी रवि, गौकरण नागेश, डायमंड नेताम, युवराज नेताम, बुधेश्वर नेताम, रोहन मरकाम, ताराचंद मरकाम, कामकिशन नागेश, गोस्वामी नेताम सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के युवा कार्यक्रम में शामिल थे।