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हाथियों ने तीन घंटे किया ‘हाईवे जाम‘, नन्हे गजराज को बचाने के लिए किया ऐसा, पढ़िए रोचक मामला

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रायपुर – हाथियों को लेकर कई किस्से कहानियां लोकप्रिय है, लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले से सामने आई घटना हाथियों की एकजुटता व शांतिप्रियता की रोचक झलक पेश कर रही है। 21 हाथियों ने नन्हे गजराज को बचाने के लिए कोरबा में तीन घंटे तक हाईवे को जाम कर दिया था।

यह घटना गुरुवार शाम को उस वक्त हुई जब हाथियों का एक समूह कोरबा जिले के जंगल से निकले हाईवे से गुजर रहा था। तभी एक हाथी का बच्चा सड़क किनारे पानी से भरी खाई में गिर गया था। यह देखते हुए हाथियों के झुंड ने पहले तो खुद ही उसे निकालने का प्रयास किया, लेकिन वे विफल रहे। इसके बाद उन्होंने खाई के आसपास के हाईवे के इलाके में चक्का जाम कर दिया, मानो वे अपनी मांग मनवाने के लिए प्रशासन पर दबाव डाल रहे हों। इस दौरान करीब तीन घंटे तक हाईवे पर चक्का जाम लगा रहा।

वाहन चालकों व अन्य राहगीरों ने पुलिस प्रशासन को सूचना दी। कोेरबा जिला प्रशासन को जैसे ही हाईवे पर हाथियों के चक्का जाम की सूचना मिली, तुरंत मौके पर वन विभाग व अन्य सुरक्षाकर्मियों की टीम भेजी गई। टीम ने वहां जाकर माजरा समझा और खाई में गिरे हाथी के बच्चे को निकालने के उपाय किए जाने लगे। मौके पर जेसीबी मशीन बुलवाई गई। इसके बाद एक वनरक्षक ने हाथी के बच्चे के गले में रस्सी बांधी और उसे एक्सकेवेटर की मदद से खींचकर बाहर निकाल लिया गया।

बच्चे की मां व अन्य हाथी चुपचाप खड़े रहे
बचाव कार्य के दौरान नन्हे हाथी की मां व अन्य हाथियों का झुंड शांति से खड़ा रहा। जैसे ही शिशु हाथी खाई से निकाला गया, अन्य हाथी मानो खुशी से झूम उठे और वे उसे घेर कर खड़े हो गए। इसके कुछ देर बाद शांति से मौके से चले गए। नन्हा हाथी उनके बीच सुरक्षित घेरे में चलता रहा। इसके बाद इन 21 हाथियों का झुंड देर शाम कटघोरा के जंगल में चला गया। हाईवे पर अटके वाहन चालकों व राहगीरों ने भी इस आकर्षक घटनाक्रम को देखा। कई लोगों ने इसके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किए।

हाथियों का झुंड बड़ी मशीनों को देख असहज हो गया था
इस बचाव अभियान में कोरबा फॉरेस्ट रेंज के अधिकारी मनीष सिंह, अभिषेक दुबे ने नेतृत्व किया। कटघोरा की डीएफओ प्रेमलता यादव भी 25 वनकर्मियों की एक टीम के साथ मौके पर पहुंच गई थी। सभी ने मिलकर हाथी के बच्चे को बचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि शुरु में तो हाथियों का झुंड हमे व बड़ी मशीनों को देख असहज हो गया था। वह आक्रोश जताने लगा, लेकिन धीरे धीरे उनकी समझ में आने लगा कि ये बचाव दल है। इसके बाद सारे हाथी एकतरफ होकर माजरा देखने लगे। खाई में गिरे बच्चे को निकालना आसान नहीं था। खाई के समीप खुदाई के बाद भी वह नहीं निकल पा रहा था, इसलिए वनरक्षक मंगल नायक ने खाई में उतरकर उसे रस्सी से बांधा और फिर जेसीबी की मदद से नन्हे हाथी को निकाल लिया गया।

100 किलो होता है हाथी के बच्चे का वजन
वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार हाथी के बच्चे का औसत वजन 100 किलोग्राम से ज्यादा होता है। डीएफओ यादव के अनुसार हाल ही में यह दूसरी दूसरी घटना है। दो दिन पहले राज्य के जशपुर जिले में एक महीने के हाथी के बच्चे को बचाकर उसके समूह से मिलाया गया था।अमर उजाला।