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रमन सिंह का बघेल पर आरोप – झारखंड के विधायकों को दारू-मुर्गा खिला रहे, बोले- अय्याशी का अड्डा नहीं छत्तीसगढ़

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रायपुर – झारखंड में सियासी उठापटक के बीच छत्तीसगढ़ पहुंचे यूपीए विधायकों के बाद मामला और गरमा गया है। यहां कथित तौर पर एक रिसॉर्ट के बाहर झारखंड के विधायकों के इंतजार में खड़ी एक सरकारी गाड़ी में शराब की बोतलें मिली हैं। इसके बाद भाजपा नेताओं ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर हमला बोला है।

भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह ने गाड़ी में शराब की बोतलें मिलने का वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है,  “भूपेश जी कान खोलकर सुन लीजिए! छत्तीसगढ़ अय्याशी का अड्डा नहीं है, जो छत्तीसगढ़ियों के पैसे से झारखंड के विधायकों को दारू-मुर्गा खिला रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह ने गाड़ी में शराब की बोतलें मिलने का वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है, “भूपेश जी कान खोलकर सुन लीजिए! छत्तीसगढ़ अय्याशी का अड्डा नहीं है, जो छत्तीसगढ़ियों के पैसे से झारखंड के विधायकों को दारू-मुर्गा खिला रहे हैं। असम, हरियाणा के बाद अब झारखंड के विधायकों का डेरा। इन अनैतिक कार्यों के लिए छत्तीसगढ़ महतारी आपको कभी माफ नहीं करेगी।”

भूपेश जी कान खोलकर सुन लीजिए!

छत्तीसगढ़ अय्याशी का अड्डा नहीं है, जो छत्तीसगढ़ियों के पैसे से झारखंड के विधायकों को दारू-मुर्गा खिला रहे हैं।

असम, हरियाणा के बाद अब झारखंड के विधायको का डेरा, इन अनैतिक कार्यों के लिए
छत्तीसगढ़ महतारी आपको कभी माफ नहीं करेगी।

झारखंड के विधायक यहां, इसलिए भाजपा चिंतित
उधर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि झारखंड के विधायक यहां आए हैं, इसलिए भाजपा के लोग चिंतित हैं। अगर विधायकों को वहीं रहने दिया जाता तो भाजपा को उन्हें खरीदने ओर 20 करोड़ रुपये देने का मौका मिलता। बघेल ने कहा, राजभवन ने अभी तक चुनाव आयोग की चिट्ठी नहीं खोली है, इसका मतलब है कि कुछ योजना बनाई जा रही है।

32 विधायक पहुंचे हैं रायपुर 
झारखंड में सियासी संकट के बीच महागठबंधन के सभी विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ ले जाया गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास से विधायक अपराह्न 2 बसों में रांची एयरपोर्ट के लिए निकले थे। सीएम हेमंत सोरेन खुद बस में विधायकों के साथ रहे। विधायकों को सामान उनसे पहले ही एयरपोर्ट पहुंचा दिया गया था। महागठबंधन के 32 विधायकों में कांग्रेस से 12, झामुमो के19 और राजद के 1 विधायक शामिल हैं। विधायकों को छत्तीसगढ़ ले जाने का फैसला ऐसे समय पर लिया गया है, जब एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होने की आशंका है। वहीं, दूसरी तरफ कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार बुरी तरह घिरी गई है।

राज्यपाल ने आयोग के फैसले पर छठे दिन भी नहीं तोड़ी चुप्पी 
लाभ के पद के मामले में विधानसभा से सोरेन की अयोग्यता की मांग करने वाली भाजपा की एक याचिका के बाद, चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को अपना निर्णय भेजा है। हालांकि चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है, लेकिन चर्चा थी कि चुनाव पैनल ने मुख्यमंत्री की एक विधायक के रूप में अयोग्यता की सिफारिश की है। यूपीए के विधायकों ने राजभवन से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। महागठबंधन के विधायकों ने 28 अगस्त को एक संयुक्त बयान जारी कर राजभवन पर आरोप लगाया था कि सीएम सोरेन पर किसी निर्णय की घोषणा न कर राज्यपाल जानबूझकर विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रहे हैं। गौरतलब है कि 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में सत्तारूढ़ महागठबंधन के 49 विधायक हैं।

सीएम सोरेन ने 1 सितंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई
सीएम हेमंत सोरेन ने 1 सितंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से आज भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी की विधायकी पर भी निर्णय आने की  संभावना है। इस बीच, सोमवार को हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन की विधायकी पर भी चुनाव आयोग में चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।