रायपुर – छत्तीसगढ़ में कर्मचारियों की हड़ताल लगातार दूसरे दिन जारी रही। अधिकांश सरकारी कर्मचारी अपना काम छोड़कर धरने पर बैठे रहे। इसकी वजह से बहुत से कार्यालयों, स्कूलों, अस्पतालों और न्यायालयों में कामकाज प्रभावित रहा है। कर्मचारी नेताओं ने मुख्यमंत्री से उनकी मांगों पर शीघ्र फैसला लेने की अपील की है।
छत्तीसगढ़ अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा और प्रदेश प्रवक्ता चंद्रशेखर तिवारी ने कहा, इस आंदोलन से राज्य के समस्त जिला एवं ब्लाक तहसील मुख्यालय में कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। न्याययिक कर्मचारी संघ एवं प्रदेश के तहसीलदार, नायब तहसीलदार के हड़ताल में शामिल होने जाने के कारण जिला न्यायालय एवं राजस्व न्यायालय में सभी कार्य ठप्प हो गए हैं। दावा किया गया कि संचालनालय दफ्तरों वाले इंद्रावती भवन के सभी कार्यालय बंद हैं। कहा गया कि अब आंदोलन में शामिल संगठनों की संख्या 101 हो गई है। फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने कहा, राज्य के कर्मचारी अपनी मांगो को लेकर चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। पिछले तीन चरणों के आंदोलन के बाद भी उनकी मांगों का कोई निराकरण नहीं हुआ। फेडरेशन ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अपनी मांगों पर शीघ्र निर्णय लिए जाने की अपील की है।
भत्तों पर भड़का है यह आंदोलन
छत्तीसगढ़ के राज्य कर्मचारियों का यह आंदोलन भत्तों की वजह से भड़का है। कर्मचारी संगठन कई महीनों से केंद्र सरकार की तरह 34% महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे थे। उनकी मांग थी, इस दर तक पहुंचने के लिए उनका भत्ता 12% बढ़ाया जाना चाहिए। वहीं सातवें वेतनमान की सिफारिशों के मुताबिक मूल वेतन का 18% गृह भाड़ा भत्ता की मांग भी साथ-साथ उठी है। जुलाई में पांच दिनों की हड़ताल के बाद सरकार ने महंगाई भत्ते में 6% इजाफे का आदेश जारी कर दिया। वहीं गृह भाड़ा भत्ता के लिए आश्वासन हाथ आया। उसके बाद कर्मचारी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।
अभी सरकार में नर्मी का रुख नहीं दिखा
दो दिन की हड़ताल के बाद भी सरकार की ओर से नर्मी का रुख दिखाई नहीं दिया है। जहां भी काम चल सका प्रशासन ने संविदा कर्मचारियों से सामान्य कामकाज चलाने की कोशिश की है। एक दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपना रुख साफ कर दिया था। उन्होंने कहा, कर्मचारियों की मांग पर उन्होंने 6% महंगाई भत्ता बढ़ा दिया। पुरानी पेंशन योजना लागू की, सप्ताह में पांच दिन ही काम की छूट दी, कर्मचारियाें के हित में लगातार फैसले कर रहे हैं। इतनी रियायत के बाद भी कोई हड़ताल करना चाहे तो उसकी इच्छा है। इसके बाद शासन अपना काम करेगा।