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रक्षाबंधन पर भद्रा का असर शुरू, राखी का आज रात मुहूर्त, फिर कल 7.05 तक

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आज रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है। लेकिन आज ही भद्राकाल भी शुरू हो चुकी है। पूर्णिमा तिथि 10 बजकर 38 मिनट पर आरंभ हो गई है। भद्रा रात 08 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी। 11 अगस्त को भद्रा समाप्त होने पर रात 08 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 49 मिनट तक राखी बांध सकते हैं। लेकिन हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद राखी बांधना वर्जित है। इस कारण से कुछ लोग 12 अगस्त को भी रक्षाबंधन मना रहे हैं।
जानिए शुभ मुहुर्त के प्रकार

अभिजीत मुहूर्त- सभी मुहूर्तों में अभिजित मुहूर्त अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है। अभिजित मुहूर्त प्रत्येक दिन दोपहर से करीब 24 मिनट पहले शुरू होकर दोपहर के 24 मिनट बाद समाप्त हो जाता है।

चौघड़िया- मुहूर्त शास्त्र में चौघड़िया मुहूर्त का विशेष स्थान होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर किसी शुभ और मांगलिक कार्य के लिए कोई शुभ मुहूर्त न मिले तो उस अवस्था में चौघड़िया मुहूर्त में उस कार्य को किया जा सकता है।
होरा-अगर कोई शुभ कार्य करना अत्यंत ही जरूरी हो, लेकिन उस दौरान शुभ मुहूर्त का अभाव हो तो ज्योतिष में होरा चक्र की व्यवस्था बनाई गई है।

लग्न तालिका- विवाह मुहूर्त, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश मुहूर्त समेत सभी शुभ कार्यों के मुहूर्त के लिए शुभ लग्न तालिका देखा जाता है।

गौरी शंकर पंचांगम- गौरी शंकर पंचांगम को नल्ला नेरम भी कहा जाता है जिसका अर्थ शुभ समय होता है। यह मुहूर्त श्रेष्ठ फलदायी होता है।

गुरु पुष्य योग- जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग बने तो इसे गुरु पुष्य योग कहा जाता है।गुरु पुष्य योग सभी योगों में प्रधान है। इस योग में किया गया हर एक कार्य शुभ होता है।

रवि पुष्य योग- रविवार और पुष्य नक्षत्र के संयोग को रवि पुष्य योग कहा जाता है। रवि पुष्य योग समस्त शुभ कार्यों के प्रारंभ के लिए उत्तम माना गया है।

अमृत सिद्धि योग- अमृत सिद्धि योग भी शुभ मुहूर्तों में एक होता है।इस योग में किए गए सभी कार्य पूरे होते हैं। मांगलिक कार्य के शुभ मुहूर्त के लिए इस योग को पहले स्थान पर रखा जाता है।

सर्वार्थ सिद्धि योग –यह योग सभी तरह के मनोकामनाओं का पूरा करने वाला शुभ योग कहलाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग एक निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनता है। किसी भी तरह के शुभ कार्य को इस योग में किया जा सकता है।

अभिजीत मुहूर्त जारी, बांधी जा सकती है इसमें राखी

अब रक्षाबंधन तिथि पर भद्रा काल का साया शुरू हो चुका है जोकि रात को खत्म होगा। लेकिन जिन्हें किसी कारणवश आज ही राखी बांधनी है वे लोग अभिजीत मुहूर्त में राखी बांध सकते हैं। इस समय अभिजीत मुहूर्त जारी है। मुहूर्त शास्त्र के अनुसार अभिजीत मुहुर्त में किसी भी तरह का शुभ कार्य किया जा सकता है।

राखी बांधते समय दिशा का रखें ध्यान 

राखी बांधते समय दिशा का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। जब भी आप अपने भाई को राखी बांधें तो उसे पूर्व दिशा की तरफ बिठाकर राखी बांधे। ध्यान रखें बहन का मुख पश्चिम दिशा की ओर हो।  जब भी बहन भाई को राखी बांधे उस समय बहनों को दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर और भाइयों को उत्तर-पूर्व दिशा की ओर देखना चाहिए। राखी बांधने के दौरान किसी अन्य दिशा में गलती से भी ना देखें। गलती से भी उत्तर-पश्चिम दिशा में बैठकर राखी ना बांधे। राखी बांधने के लिए यह सही दिशा नहीं है।

रक्षा सूत्र या राखी बांधने का ज्योतिष महत्व 
राखी या रक्षा सूत्र बांधते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। राखी बांधने का ज्योतिषीय महत्व भी है। ज्योतिष शास्त्र कर अनुसार राखी बांधते समय तीन गांठें बांधनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मणिबंध से भाग्य की और जीवन की  रेखा शुरू होती है। मान्यताओं के अनुसार इन मणिबंधो में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश  और त्रिशक्ति शक्ति, लक्ष्मी और सरस्वती का वास रहता है। जब आप राखी या रक्षासूत्र बांधते हैं तो यह सूत्र त्रिशक्तियों और त्रिदेव को समर्पित माना जाता है।
जब द्रौपदी ने बांधा था श्री कृष्ण के हाथ में रक्षा सूत्र
धर्म शास्त्रों के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का अपने चक्र से वध किया था तो चक्र फेंकते समय उनके बाएं हाथ की उंगली कट गई और उससे खून आने लगा। जब द्रौपदी ने उनके हाथ में खून देखा तो वह तुरंत अपनी साड़ी का टुकड़ा चीर कर कन्हैया की उंगली में बांध दिया। कहते हैं कि उसी टुकड़े का मां रखते हुए श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय द्रौपदी की रक्षा की थी। कहते हैं तभी से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा चली आ रही है।
रक्षाबंधन का पर्व कैसे हुआ आरंभ ? 
पाताल में रहने वाले राजा बलि के हाथ में लक्ष्मी जी ने राखी बांध कर उनको अपना भाई बनाया और नारायण जी को मुक्त किया। वह दिन सावन पूर्णिमा का था। 12 साल इंद्र और दानवों के बीच युद्ध चला। इंद्र थक गए थे और दैत्य शक्तिशाली हो रहे थे। इंद्र उस युद्ध से खुद के प्राण बचाकर भागने की तैयारी में थे। इंद्र की इस व्यथा को सुनकर इंद्राणी गुरु बृहस्पति के शरण में गई। गुरु बृहस्पति ने ध्यान लगाकर इंद्राणी को बताया कि यदि आप पतिव्रत बल का प्रयोग करके संकल्प लें कि मेरे पति सुरक्षित रहें और इंद्र के दाहिने कलाई पर एक धागा बांध दें, तो इंद्र युद्ध जीत जाएंगे।” इंद्राणी ने ऐसा ही किया। इन्द्र विजयी हुए और इंद्राणी का संकल्प साकार हुआ। भविष्य पुराण में बताए अनुसार रक्षाबंधन मूलतः राजाओं के लिए था।
आज कैसे बांधे रक्षा सूत्र, क्या है पूजा विधि

– पहले स्नान करके भगवान की पूजा-आराधना करें और अपने-अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र बांधे।
– पूजा के बाद बहनें राखी की थाली सजाएं।
– पूजा की थाली में रोली, अक्षत,कुमकुम, रंग-बिरंगी राखी, दीपक और मिठाई रखें।
–  शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए बहनें भाईयों के माथे पर चंदन, रोली और अक्षत से तिलक लगाएं।
– इसके बाद भाई के दाएं हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे और भाई को मिठाई खिलाएं।
– अंत में बहनें भाई की आरती करते हुए अपने इष्टदेव का स्मरण करते हुए भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करें।
– रक्षासूत्र बांधते हुए आज इस मंत्र का जाप का जरूर करें।

“येन बद्धो बलिराजा, दानवेन्द्रो महाबलः तेनत्वाम प्रति बद्धनामि रक्षे, माचल-माचलः”

भद्राकाल में रक्षाबंधन, आज किस मुहूर्त में बांधी जा सकती है राखी
आज पूरे दिन भद्रा काल रहेगी लेकिन इस भद्रा का वास पृथ्वी पर न होकर पाताललोक में रहेगी। ऐसे में कुछ विद्वानों का मत है कि इस भद्रा का अशुभ प्रभाव पृथ्वी वासियों के ऊपर नहीं पड़ेगी। ऐसे आज कुछ विशेष मुहूर्त में राखी बांधी जा सकती है।

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 11 अगस्त को सुबह 10:38 से प्रारंभ
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी

रक्षाबंधन 2022 शुभ योग संयोग

रवि योग : रवि योग सुबह 05:30 से 06:53 तक रहेगा
आयुष्मान योग : 10 अगस्त 07:35 से 11 अगस्त दोपहर 03:31 तक
सौभाग्य योग : 11 अगस्त को दोपहर 03:32 से 12 अगस्त सुबह 11:33 तक
शोभन योग : घनिष्ठा नक्षत्र के साथ शोभन योग भी लगेगा

रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 2022
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:37 से 12:29 तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:14 से 03:07 तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 06:23 से 06:47 तक
संध्या मुहूर्त : शाम 06:36 से 07:42 तक
अमृत काल मुहूर्त : शाम 06:55 से 08:20 तक
प्रात: 10:38 से शाम 08:50 तक

09:30 AM, 11-AUG-2022
भद्राकाल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी ?
आज रक्षाबंधन का त्योहार है,लेकिन पूरे दिन भद्रा का साया रहने के कारण लोगों को बहुत कम समय में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त मिलेगा। आज सुबह 10 बजकर 38 से जैसे ही सावन पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी उसी दौरान भद्रा का साया भी शुरू हो जाएगा जो रात में जाकर खत्म होगी। तब राखी बांधने का शुभ मुहूर्त मिलेगा। लेकिन कई विद्वानों का मत है कि राखी का त्योहार रात में मनाना शास्त्र सम्मत नहीं होगा। ऐसे में कुछ का मनाना है कि रक्षाबंधन 12 अगस्त को मनाएं, लेकिन इस दिन भी राखी बांधने का मुहूर्त बहुत ही कम मिलेगा। क्योंकि सुबह 7 बजकर 05 मिनट पर ही पूर्णिमा तिथि खत्म हो जाएगी। आखिरकार भद्राकाल में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है। दरअसल ऐसी मान्यता है कि भद्राकाल बहुत ही अशुभ समय होता है इसमें किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है। भद्रा में किया गया शुभ कार्य कभी भी सफल नहीं होता है। पौराणिक कथा के अनुसार रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी थी जिसके कारण ही उसका और उसके साम्राज्य का समूल नाश हुआ था।