रायपुर – फीस विनियामक कमेटी 10 से 20 फीसदी तक फीस बढ़ा सकती है। केवल 10 फीसदी फीस बढ़ाने पर हर साल छात्रों पर 64 हजार व साढ़े 4 साल के पूरे कोर्स की पढ़ाई में 2.60 लाख से 2.90 लाख रुपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा। प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में इस साल एमबीबीएस की पढ़ाई महंगी हो जाएगी। इसी तरह, अगर अधिकतम वृद्धि 20 प्रतिशत की गई तो छात्रों पर एक साल में करीब सवा लाख रुपए और साढ़े 4 साल में 5.25 लाख रुपए तक का भार पड़ जाएगा। फीस विनियामक कमेटी ने 3 साल पहले निजी कालेजों की फीस 15-20 प्रतिशत तक बढ़ाई थी। कमेटी इस बार भी फीस बढ़ाने की तैयारी में है और फैसला एडमिशन शुरू होने से पहले ही ले लिया जाएगा।
प्रदेश में पहले 3 निजी मेडिकल कॉलेज चंदूलाल चंद्राकर, रिम्स व शंकराचार्य थे। इनमें चंदूलाल कॉलेज में लगातार तीन साल जीरो इयर हो गया। इसके बाद राज्य सरकार ने इस कॉलेज का अधिग्रहण कर लिया। अब प्रदेश में प्राइवेट मेडिकल कालेज के तौर पर रायपुर में रिम्स और श्री बालाजी तथा भिलाई में शंकराचार्य मेडिकल कालेज चल रहे हैं। इनमें बालाजी को छोड़कर दोनों कॉलेज पुराने हैं। इनमें फीस रिन्यूअल किया जाना है।
वर्तमान में रिम्स की सालाना फीस 6 लाख 156 रुपए व शंकराचार्य की फीस 6 लाख 45 हजार 156 रुपए है। जीरो ईयर के पहले चंदूलाल की फीस 6 लाख 13 हजार 156 रुपए सालाना थी। कम से कम 10 फीसदी की ही फीस वृद्धि पर सालाना 64 हजार रुपए खर्च बढ़ेगा। नियम में तीन साल बाद 10 से 20 फीसदी फीस बढ़ाने का नियम है। अगर 15 से 20 फीसदी फीस बढ़ाई गई तो छात्रों की जेब ज्यादा कटेगी। दरअसल कमेटी कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी व जरूरी सुविधाओं के हिसाब से फीस का निर्धारण करती है।
जब प्रदेश में 9 साल पहले प्रदेश में पहली बार निजी मेडिकल कॉलेज खोले गए, तब मध्यप्रदेश के निजी कॉलेजों के हिसाब से फीस तय की गई। हालांकि फीस मध्यप्रदेश के कॉलेजाें से कम रखी गई। तब अधिकारियों का दावा था कि देश में छत्तीसगढ़ में एमबीबीएस की पढ़ाई की फीस सबसे कम है।
सरकारी की फीस 50 हजार रुपए साल
प्रदेश में 8 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें महासमुंद को नए सत्र के लिए हाल ही में मान्यता मिली है। नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर समेत सिम्स बिलासपुर, , अंबिकापुर, राजनांदगांव, कांकेर व जगदलपुर में सालाना फीस 50 हजार है। इसमें 40 हजार ट्यूशन फीस व 10 हजार होस्टल फीस है। महासमुंद में भी यही फीस स्ट्रक्चर रहने की संभावना है। पिछले 10 साल में फीस में कोई वृद्धि नहीं की गई है, लेकिन निजी कॉलेजों में हर तीसरे साल में फीस बढ़ाई जानी है।
पीजी की फीस तय करने में हुई देरी
शासन ने फीस विनियामक कमेटी का पुनर्गठन किया है। लगभग दो साल कोई अध्यक्ष नहीं होने के कारण कमेटी का अस्तित्व ही खत्म हो गया था। हालांकि तब एमबीबीएस की फीस रिन्यूअल करने की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन मेडिकल पीजी का फीस निर्धारण एडमिशन के बाद भी नहीं हो सका। इससे कई छात्र ज्यादा फीस होने की वजह से पिछले साल एडमिशन नहीं ले सके थे।
एडमिशन प्रक्रिया से पहले फीस बढ़ेगी
“पुराने निजी मेडिकल कॉलेजों की फीस रिन्यूअल होनी है। नए कॉलेज की भी फीस तय होगी। वृद्धि नियमनानुसार की जाएगी। एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने से पहले इसे तय करने की संभावना है।”