सरकार की निरंकुशता से दक्षिण बस्तर में आपात स्थिति, समस्या का समाधान नहीं होने पर राज्यपाल से मिलकर करेंगे समाधान की मांगएक करोड़ रुपये के तेन्दूपत्ता पारिश्रमिक भुगतान नहीं किया गया है
जगदलपुर – भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने पत्रकार भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार की निरंकुशता से दक्षिण बस्तर में आपात स्थिति निर्मित हो गई है। रेगड़गटा व रामाराम में सरकारी आंकड़े के अनुसार अब तक 62 लोगों की अज्ञात बीमारी से मौत हो चुकी है, लेकिन अब तक वहां तक न तो कोई नेता व मंत्री पहुंचा और न ही प्रशासन के बड़े अधिकारी सुध लेने वहां गये। खास बात यह है कि अब तक किस बीमारी से लोगों की मौत हो रही है, उसका पता तक नहीं चल पाया है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश स्वास्थ्य मंत्री की छवि खराब करने लगे हुए हैं और लोगों को मौत के मुंह में झोंक रहे हैं। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की लड़ाई का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है। इस समय बस्तर में डेंगू और मलेरिया तेजी से फैल रहा है, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं। इस दौरान सुधीर पांडे, आलोक अवस्थी व संजय उपाध्याय मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि इसके पहले क्षेत्र के नेता मनीष कुंजाम को भी उन गांवों तक जाने से रोका गया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की संभाग स्तरीय टीम रेगड़गटा जाने वाली थी, लेकिन किसी कारण नहीं जा पाई। कुल मिलाकर अब तक ना तो संभाग की स्वास्थ्य टीम गई और ना ही प्रदेश की स्वास्थ्य टीम आ पायी। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान करने एक सप्ताह का समय दिया गया है। इसके बाद राज्यपाल से मिलकर समस्या को अवगत करवाकर समाधान करने की मांग की जाएगी।
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुंडाकिसोली में फर्जी ग्रामसभा के माध्यम से ग्रेनाइड की खदान को आंबटन किया गया, जिन्हें खदान आबंटित की गयी, उन्हें सरकार का संरक्षण है। उन्होंने कहा कि आंध्र के ठेकेदार द्वारा तेन्दूपत्ता की खरीद की गई थी, लेकिन करीब एक करोड़ रुपये का अब तक भुगतान नहीं किया गया है। ग्रामीण पारिश्रमिक भुगतान को लेकर आंदोलन कर रहे है, लेकिन उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें कही न कही क्षेत्र के विधायक व मंत्री कवासी लखमा व सरकार की मिली भगत है।
उन्होंने कहा कि वर्ष कोंटा क्षेत्र में भयावह बाढ़ आयी थी, जिसमें क्षेत्र के 60-07 सौ परिवार प्रभावित हुआ है, लेकिन अब तक उन्हें किसी तरह की राहत को लेकर कोई विशेष पहल नहीं हुई है। भाजपा शासनकाल में उनके सुकमा जिले के प्रभारी मंत्री रहते 2006 में भी बाढ़ आयी थी, उस समय प्रभावितों को सप्ताह भर के भीतर मुआवजा प्रदान किया गया था।ht