सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र, चुनाव आयोग से पूछा है कि चुनाव से पहले ऐलान किए जाने वाले मुफ्त के ऐलान पर कैसे रोक लगाई जाए। इसके बारे में न्यायालय ने एक सप्ताह में जवाब भी मांगा है।
नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, चुनाव आयोग, सीनियर एडवोकेट और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के अलावा कई याचिकाकर्ताओं के एक विशेषज्ञ समूह के गठन पर अपना सुझाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ये सुझाव अगले 7 दिनों के भीतर देने को कहा है। ये समूह इस बात की भी जांच करेगा कि चुनाव से पहले बांटे जाने वाले मुफ्त के गिफ्ट (रेवड़ियों) को कैसे नियंत्रित किया जाए इस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक रिपोर्ट मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में दी जाने वाली चीजों को कैसे नियंत्रित किया जाए। इस पर सुझाव देने के लिए नीति आयोग, वित्त आयोग, सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों, आरबीआई और अन्य हितधारकों से मिलकर एक शीर्ष निकाय की आवश्यकता है।
मुफ्त रेवड़ियां बांटने वाली पार्टियों का Registration खत्म हो
इस जनहित याचिका में चुनाव के दौरान मुफ्त का उपहार देने वाली पार्टियों का रजिस्ट्रेशन खत्म करने की मांग भी की गई है। इसके पहले पिछले सप्ताह सर्वोच्च न्यायालय ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मुफ्त चुनावी घोषणाएं करने वाले सियासी दलों के मुद्दे को गंभीर रूप से चिन्हित किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले की जांच करने को कहा था कि ताकि मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मुफ्त के वादों को नियंत्रण में लाया जा सके।
सरकार ने पिछले सप्ताह ऐसी पार्टियों को किया था चिन्हित-
सुप्रीम कोर्ट बुधवार (3 अगस्त) को उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें चुनाव के दौरान मुफ्त उपहार देने का वादा करने वाली पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने की मांग की गई है। पिछले हफ्ते, शीर्ष अदालत ने मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मुफ्त देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के मुद्दे को गंभीर रूप से चिह्नित किया था और केंद्र सरकार से इस मामले की जांच करने को कहा था ताकि मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए मुफ्त के वादों को नियंत्रित किया जा सके।