मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रिफर सेंटर बनकर रह गया है,ग्रामीण इलाको में आज भी बारिश के दिनो में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के चलते अकाल मृत्यु के गाल में समा जाते है ग्रामीण
मैनपुर – गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के 22 वर्षो पश्चात् भी स्वास्थ सुविधा के नाम पर बेहद पिछड़ा हुआ है आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर शुरू से महरूम रहा है, जबकि यह क्षेत्र काफी संवेदनशील क्षेत्र के रूप मे जाना जाता है हर वर्ष यहां बारिश के मौसम मे अनेक जनित रोगो व बिमारियों से लोग पीड़ित रहते है बारिश के सीजन प्रारंभ होते ही उल्टी,दस्त व मलेरिया का यह क्षेत्र गढ़ बन जाता है, पूर्व वर्षो मे मलेरिया उल्टी दस्त जैसे बिमारियो से कई लोगो की जाने जा चुकी है साथ ही नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां स्वास्थ्य सुविधा व्यवस्था ठीक ठाक रखने की जरूरत है, अस्पताल सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार मैनपुर विकासखंड के 177 गांवो के लगभग 1 लाख 65 हजार ग्रामीणो के लिए मैनपुर मे मात्र 3 डाॅक्टर ही पदस्थ है, मैनपुर मे कहने को तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है और यहां 12 डाॅक्टरो के पद स्वीकृत है लेकिन इसमें से मात्र 3 डाॅक्टर ही इस अस्पताल को नसीब हो पाया है यहां शिशुरोग विशेषज्ञ, स्त्रीरोग विशेषज्ञ व अन्य डाॅक्टरो की कमी वर्षो से बनी हुई है।
वर्षो से मैनपुर में नही है महिला डाॅक्टर
तहसील मुख्यालय मैनपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है और यहां बीएमओ सहित कुल 03 ही डाॅक्टर पदस्थ है और एक डाॅक्टर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शोभा और एक डाॅक्टर अमलीपदर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में है। मैनपुर विकासखण्ड काफी लंबा चौड़ा है लगभग 100 किमी के एरिया में फैला हुआ है और 1 लाख 65 हजार ग्रामीणो के लिए महज 05 ही डाॅक्टर उपलब्ध हो पाया है जबकि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को मिला कर 18 डाॅक्टरो के पद रिक्त है सबसे ज्यादा परेशानी तहसील मुख्यालय मैनपुर में महिला डाॅक्टर के नही होने से होती है क्योकि महिलाओं को अपने समस्याओं व बीमारियो को लेकर महिला डाॅक्टर को आसानी से बता सकते है इसलिए वर्षो से महिला डाॅक्टर की मांग किया जा रहा है।
मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रिफर सेंटर बनकर रह गया है
मैनपुर तहसील मुख्यालय में कहने को तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है लेकिन यह सिर्फ रिफर सेंटर बनकर रह गया है, यहा कोई सुविधाए नही है, छोटे – छोटे ईलाज के लिए मैनपुर पुरे क्षेत्र के लोगो को ओडिसा के रायगढ, धरमगढ एंव रायपुर जाना पडता है, घटना दुर्घटना की स्थिति में यह अस्पताल रिफर सेंटर बनकर रह गया है, यहा प्रर्याप्त सुविधा के अभाव में सीधे जिला अस्पताल गरियाबंद रिफर कर दिया जाता है।
मरीजो को उल्टे खाट में लाया जाता है अस्पताल तक
आज भी इस क्षेत्र के दूरस्थ पहाड़ी पर बसे ग्रामो के ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधा के अभाव मे उल्टे खाट मे मरीज को लिटाकर अस्पताल तक लाने मजबूर होते है और तो और दूरस्थ ग्रामीण अंचलो मे स्वास्थ्य सुविधा नही पहुचंने के कारण आज भी इस वैज्ञानिक युग मे लोग झाड़ फूंक, तंत्र मंत्र से ईलाज कराने मजबूर हो रहे है, मैनपुर विकासखंड के इंदागांव क्षेत्र से आगे देवभोग तक के लोग आज छत्तीसगढ़ निर्माण के 22 वर्षो पश्चात इलाज के लिए पड़ोसी राज्य उड़ीसा के धरमगढ़, रायगढ़ इलाज कराने जाने मजबूर होते है, बारिश के इन दिनो में मैनपुर क्षेत्र के ग्रामीण ईलाको के गांवो में पुल पुलिया नही होने के कारण मरीजो को और गर्भवती महिलाओ को कांधे पर बिठाकर या फिर खाट में लिटाकर नदी नालो को पार कर लाया जाता है दर्जनों ग्रामों में बारिश के दिनो में 108 संजीवनी एक्सप्रेस एंव महतारी एक्सप्रेस सुविधा की लाभ नही मिल पाता है।
स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में इदागांव के आगे ओडिसा सीमा तक के लोग ओडिसा में ईलाज कराने जाने मजबूर
छत्तीसगढ राज्य के निर्माण हुए भले ही 22 वर्ष हो गये है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है, सरकारी रिकार्ड मे क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होगी लेकिन आज भी इदागांव, मुलडगेलमाल, खोखमा, कोदोभाठा, झरगांव, बुरजाबहाल, गौरगांव , कुचेगा, कुसियारबरछा क्षेत्र के ग्रामीण ईलाज के लिए ओडिसा दुसरे प्रदेश ईलाज के जाने मजबूर होते है।
मैनपुर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने आंदोलन करने की तैयारी में
मैनपुर क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम, भाजपा जिला उपाध्यक्ष योगेश शर्मा, आम आदमी पार्टी के विधानसभा प्रभारी हनीफ मेमन, आदिवासी वरिष्ठ नेता सियाराम ठाकुर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अमृत नागेश, कमार समाज के नेता बनसिगं सोरी, पिलेश्वर सोरी, गोडवाना गणतंत्र पार्टी के संभागीय अध्यक्ष महेन्द्र नेताम, बलिराम ठाकुर, पारेश्वर नेगी, मनोज मिश्रा, सुधीर राजपुत व क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने बताया कि मैनपुर में आजादी के 75 वर्ष बाद भी स्वास्थ्य सुविधा बदहाल है, मैनपुर अस्पताल रिफर सेंटर बनकर रह गया है, ग्रामीण ईलाको के गांवो की बात तो छोड दीजिये गांव मे तो स्वास्थ्य सुविधा कुछ भी नही है, इन दिनो गांव गांव मौसमी बामारी उल्टी, दस्त, बुखार, सर्दी, खांसी का प्रकोप है, छोटे छोटे बीमारी के लिए गरियाबंद रिफर किया जाता है, अधिकांश गांव के लोग प्राईवेट हाॅस्पिटल, धरमगढ, ओडिसा और रायपुर जाने मजबूर हो रहे है, जनप्रतिनिधियों ने आगे कहा कि मैनपुर में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए उग्र आंदोलन किया जायेगा।
क्या कहते है अधिकारी
विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी डाॅ गजेन्द्र ध्रुव ने बताया मैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 12 डाॅक्टरो के पद स्वीकृत है जिसमें वर्तमान में 3 डाॅक्टर मैनपुर मे पदस्थ है इस सबंध मे उच्च अधिकारियो को जानकारी समय समय पर भेजी जाती है। उन्होने आगे बताया ग्रामीण इलाको में भी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने स्वास्थ्य अमला हमेशा तत्पर रहते है।
विधायक पुजारी ने कहा आदिवासी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा को लेकर कांग्रेस सरकार को कोई लेना देना नही
बिन्द्रानवागढ़ विधायक डमरूधर पुजारी ने कहा राज्य सरकार से कई बार मैनपुर और देवभोग में डाॅक्टरो की मांग को लेकर स्वयं मांग पत्र सौप चुके है और विधानसभा में भी मामला उठा चुके है राज्य के कांग्रेस सरकार को आदिवासी क्षेत्र की कोई चिंता ही नही है। मैनपुर देवभोग क्षेत्र के अस्पतालो में दर्जनों डाॅक्टर के पद रिक्त है, कई बार मांग कर चुके है।