हरियाली अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु-पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है। ये तीनों योग बहुत ही शुभ फलदायी माने गए हैं। हरियाली अमावस्या पर पेड़-पौधे लगाने और उनका पूजन करने का भी बहुत महत्व है।
सावन के पवित्र महीने में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। सावन अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान,पूजा-पाठ,दान और ध्यान करने का महत्व होता है। आज हरियाली अमावस्या तिथि है।
पंचांग की गणना के अनुसार आज की अमावस्या तिथि पर बहुत ही शुभ योग बना हुआ है। हरियाली अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, गुरु-पुष्य नक्षत्र का योग भी बन रहा है। ये तीनों योग बहुत ही शुभ फलदायी माने गए हैं। हरियाली अमावस्या पर पेड़-पौधे लगाने और उनका पूजन करने का भी बहुत महत्व है।
पौराणिक काल से ही इस त्योहार पर पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। सावन का पूरा महीना भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए समर्पित होता है ऐसे में इस माह में सभी आने वाले व्रत-त्योहार में विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी सदैव कृपा बनी रहती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करते हैं। आइए जानते हैं अमावस्या तिथि से जुड़ी हुई 10 जरूरी बातें…
1- हिंदी पंचांग के अनुसार हर एक माह में एक अमावस्या तिथि आती और एक पूर्णिमा। एक माह में 15-15 दिन के दो पक्ष होते हैं। जब कृष्ण पक्ष चलता है तो इस दौरान चंद्रमा का आकार घटता है और अमावस्या तिथि पर चंद्रमा पूरी तरह से गायब हो जाता है। वहीं शुक्ल पक्ष में चंद्रमा बढ़ता है फिर पूर्णिमा के दिन यह बहुत बड़े आकार को हो जाता है।
3- हिंदू पंचांग के अनुसार जब अमावस्या तिथि होती है तब सूर्य और चंद्रमा दोनों ही एक साथ एक राशि में होते हैं। ऐसे में आज अमावस्या तिथि है तो 28 जुलाई 2022 को सूर्य और चंद्र दोनों एक साथ कर्क राशि में हैं।
4- चंद्रमा में सोलह कलाओं की शक्तियां निहित होती हैं। शास्त्रों में मान्यता है कि इन 16 कलाओं का न क्षय होता है और न ही कभी उदय होता है। स्कंद पुराण में चंद्रमा की सोलह कलाओं का वर्णन इस प्रकार किया गया है- अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला। संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।
5- अमावस्या तिथि पितर देवों को समर्पित होती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि पर पितरों का प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, गंगा स्नान,दान-पुण्य,तर्पण,धूप-ध्यान आदि शुभ कार्य किए जाते हैं। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
6- अमावस्या तिथि पर मन को शांत और संयमित रखना चाहिए यानी गलत कार्यों को करने से बचना चाहिए।
7- अगर आप अमावस्या तिथि पर व्रत रखते हैं तो इस दिन आप केवल फलहारी ही करें।
8- जब अमावस्या तिथि गुरुवार के दिन पड़े तो इस दिन भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा-अभिषेक जरूर करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।