छत्तीसगढ़ में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस को भाजपा की सेंधमारी की भी चिंता सताने लगी है। दरअसल, विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होते ही भाजपा ने बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस पर 27 जुलाई को चर्चा होनी है।
रायपुर – जमीन खोती कांग्रेस छत्तीसगढ़ में आंतरिक कलह से भी परेशान है। यहां सीएम भूपेश बघेल और कैबिनेट मंत्री टीएस सिंह देव के बीच सियासी घमासान पार्टी की चिंता का विषय बना हुआ है। विधायकों की लामबंदी के चलते दोनों नेताओं को एक बार फिर से दिल्ली पहुंच गए हैं। बताया जा रहा है कि दोनों नेता आलाकमान के सामने अपनी-अपनबात रखेंगे।
छत्तीसगढ़ रवाना होने से पहले भूपेश बघेल ने कहा कि रविवार को दिल्ली में पार्टी नेताओं से मुलाकात करेंगे। इसके अलावा वे हिमाचल प्रदेश के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। दरअसल, बघेल को हिमाचल प्रदेश का पर्यवेक्षक बनाया गया है। वहीं टीएस सिंह देव भी दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। करीबी सूत्रों का कहना है कि टीएस सिंह देव कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक की मांग कर सकते हैं।
भाजपा की सेंधमारी का सताया डर
छत्तीसगढ़ में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस को भाजपा की सेंधमारी की भी चिंता सताने लगी है। दरअसल, विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होते ही भाजपा ने बघेल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस पर 27 जुलाई को चर्चा होनी है। इससे पहले कांग्रेस पार्टी दोनों नेताओं के बीच झगड़ा सुलझाना चाहती है।
इस्तीफे के बाद सामने आई थी कलह
दरअसल, 16 जुलाई को सिंह देव ने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि उन्होंने अपने अन्य विभागों को बरकरार रखा। मुख्यमंत्री को लिखे अपने चार पन्नों के त्याग पत्र में, सिंह देव ने दावा किया कि चुनाव घोषणापत्र के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं।
सरकार के ढाई साल के बाद शुरू हुए मतभेद
जून 2021 में बघेल के सीएम के रूप में ढाई साल पूरे हुए थे। इसके बाद से ही उनके और टीएस सिंह देव के बीच आंतरिक कलह सामने आई थी। सिंह देव के समर्थकों ने दावा किया कि 2018 में बनी सहमति के अनुसार, बघेल द्वारा आधा कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्हें पदभार ग्रहण करना था।au