ब्लैक फंगस से होने वाली म्यूकस माइकोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी छत्तीसगढ़ भी पहुंच गई है। अभी तक कोरोना से ठीक हुए बुजुर्ग मरीज ही इसके शिकार हुए हैं। हालात ऐसे हैं कि पिछले 10 दिनों में 14 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की किल्लत हो गई है। अब राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने भी इसकी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हाथ पांव मारना शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने भी जारी किए निर्देश
ब्लैक फंगस के संक्रमण की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंची है। उन्होंने इसे गंभीर माना है। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी जिलों में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसपर ध्यान रखने को भी कहा गया है।
छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल बोर्ड के अध्यक्ष और नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, उन्होंने खुद ऐसे चार मरीज देखे हैं। उनका इलाज चल रहा है। अधिकतर लोगों में यह संक्रमण नाक, आंख और मुंह के ऊपरी जबड़े में देखा गया है। डॉ. गुप्ता ने बताया, रायपुर AIIMS और सेक्टर-9 अस्पताल भिलाई में भी ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीज पहुंचे हैं। उनके लिए दवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
उन्होंने बताया कि इसके इलाज में पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरेसीन-बी इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। हमारे यहां यह बीमारी रेयर है। ऐसे में इस तरह की दवाएं कम ही उपलब्ध हैं। रायपुर में एक स्टाकिस्ट के यहां इंजेक्शन के 700 वायल इसी बीच खत्म हो गए हैं। स्टाकिस्ट अब दवा निर्माताओं से इसकी मांग भेज रहे हैं।
दवाओं के लिए सक्रिय हुआ प्रशासन
विभिन्न डॉक्टरों और संगठनों की ओर से डिमांड के बाद राज्य सरकार का खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग सक्रिय हुआ है। खाद्य एवं औषधि नियंत्रक ने आज सभी उप संचालकों को एक पत्र जारी किया है। इसमें ब्लैक फंगस के संक्रमण का जिक्र करते हुए पोसाकोनाजोल और एम्फोटेरेसीन-बी की जरूरत बताई है। कहा गया है, इन दवाओं की नियमत आपूर्ति आवश्यक है। ऐसे में अपने क्षेत्र के सभी स्टाकिस्टाें और डीलरों के यहां उपलब्ध मात्रा की प्रतिदिन रिपोर्ट दें। दुकानदारों को भी इसकी जानकारी देनी है।
सरकार बोली- कोरोना की वजह से हो रही है इसकी पुष्टि नहीं
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता और महामारी नियंत्रण के संचालक डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना है कि ब्लैक फंगस से होने वाली यह बीमारी छत्तीसगढ़ के लिए नई नहीं है। यह पाठ्यक्रम में शामिल है। सभी डॉक्टरों को इसके बारे में पता है। इसका इलाज भी है। दवाएं भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। यह कोरोना की वजह से हो रही है, अभी इसकी भी पुष्टि नहीं की जा सकती। फिलहाल कोरोना के बाद की दिक्कतों के लिए सरकार ने पोस्ट कोविड OPD शुरू किया है। वहां जरूरी सलाह दी जा रही है।
कैसे हो रही है यह बीमारी
यह एक फफूंद से होने वाली बीमारी है। बहुत गंभीर लेकिन दुर्लभ संक्रमण है। यह फफूंद वातावरण में कहीं भी पनप सकता है। जैव अपशिष्टों, पत्तियों, सड़ी लकड़ियों और कंपोस्ट खाद में फफूंद पाया जाता है। ज्यादातर सांस के जरिए यह शरीर में पहुंचता है। अगर शरीर में किसी तरह का घाव है तो वहां से भी ये फैल सकता है।
बीमारी में हो क्या रहा है
डॉ. राकेश गुप्ता के मुताबिक यह संक्रमण मुंह के ऊपरी जबड़े, नाक, कान और आंख को निशाना बना रहा है। इसकी वजह से जबड़ों में, आंखाें की पुतलियाें अथवा आंखों के पीछे अथवा नाक में तेज दर्द होता है। नाक, चेहरा और आंखों में सूजन आती है। आंख की पलकों और पुतली का मूवमेंट कम हो जाता है। नाक से बदबूदार पानी निकलता है और कभी-कभी खून भी।
उत्तर भारत में अभी तक देखा गया है यह संक्रमण
डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि ब्लैक फंगस का ऐसा संक्रमण अभी तक उत्तर भारत में ही देखा गया है। वह भी उन खेत मजदूरों में दिखी है जो कीटनाशक का छिड़काव करते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे केस बहुत कम देखने को मिले हैं।