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देश के चार राज्यों में नहीं मिला कोरोना का एक भी नया मामला जानिए राज्यों के नाम…

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कोरोना वायरस को लेकर अब धीरे-धीरे स्थिति ऐसी भी आने लगी है कि कुछ हिस्सों में एक भी नया मामला सामने नहीं आ रहा है। मंगलवार की बात करें तो देश के चार राज्यों में कोरोना का नया संक्रमित मरीज नहीं मिला है। जबकि 19 राज्यों में बीते मंगलवार को एक भी मरीज की संक्रमण के चलते मौत नहीं हुई है।

19 राज्यों में एक भी मौत नहीं हुई देश में अब 1.41 लाख सक्रिय मरीज ही बचे
इतना ही नहीं सक्रिय मरीजों की संख्या में भी दो हजार से अधिक की गिरावट आई है। इसके चलते देश में अब 1.41 लाख सक्रिय मरीज ही बचे हैं जिनमें से एक लाख मरीज अपने घरों में होम आइसोलेशन में हैं।
बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले एक दिन में देश में 11,067 संक्रमित मरीज मिले हैं।

वहीं 13,087 को डिस्चार्ज किया गया। इस बीच 94 लोगों की संक्रमण के चलते मौत हुई है। इसी के साथ ही देश में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,08,58,371 हो चुकी है जिनमें से अब तक 1,05,61,608 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं और 1,55,252 मरीजों की मौत हो चुकी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, अंडमान निकोबार, मणिपुर, पुडुचेरी, नगालैंड, लक्षद्वीप, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, दमन व दीव और दादरा नागर हवेली एवं लद्दाख में पिछले एक दिन में एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है।

ठीक इसी तरह दादरा नागर हवेली, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और सिक्किम में एक भी नया मरीज नहीं मिला है। महाराष्ट्र और केरल को मिलाकर 71 फीसदी सक्रिय मरीज हैं। पिछले एक दिन में 83.31 फीसदी नए मरीज और 81 फीसदी मौतें छह राज्यों में दर्ज की गई हैं। इससे पता चलता है कि कोरोना का असर अब पूरे देश पर नहीं बल्कि कुछ ही राज्यों में है।

57 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों को लगा कोरोना का टीका
देश में अब तक 57 फीसदी स्वास्थ्य कर्मचारियों को कोरोना वायरस का टीका लगाया जा चुका है। वहीं 13.2 फीसदी फ्रंटलाइन वर्करों को बीते आठ दिन में टीका लगा है। बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में 68,26,898 लोगों को टीका लगाया जा चुका है।

इनमें 56,65,172 स्वास्थ्य कर्मचारी और 1161726 फ्रंटलाइन वर्कर शामिल हैं। 13 राज्यों में टीकाकरण ने 65 फीसदी अपना लक्ष्य पूरा कर लिया है। जबकि सात राज्यों में 40 फीसदी से कम टीकाकरण हुआ है। इनमें से तीन राज्य मणिपुर, नागालैंड और पांडिचेरी में 30 फीसदी से कम टीकाकरण अब तक हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 10 फरवरी की शाम 6 बजे तक देश के 33 राज्यों में टीकाकरण कार्यक्त्रस्म आयोजित हुआ। इनमें से 10 राज्यों में सबसे ज्यादा टीका लगाया गया। अब तक टीका लगाने के बाद देश में 30 लोगों को भर्ती किया जा चुका है। इनकी औसत दर 0.0004 फीसदी है। वहीं टीका लगने के बाद 23 लोगों की मौत हुई है लेकिन किसी में भी मौत की वजह टीकाकरण नहीं है। टीका लगने के बाद मरने वालों का औसत 0.0003 फीसदी है।

हर्ड इम्युनिटी पर अब तक वैज्ञानिक नहीं हैं स्पष्ट : डॉ. अरोड़ा
एक ओर देश में टीकाकरण तेजी से आगे बढ़ रहा है और अगले माह तक यह तीसरे चरण में आने वाला है। वहीं दूसरी ओर दिल्ली सहित कुछ महानगरों में सीरो सर्वे 50 फीसदी से भी अधिक लोगों के संक्रमित होने की बात सामने आ रही है। ऐसे में सवाल है कि क्या देश के महानगरों में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है।

टीका लेने से पहले खून पतला होने की दवा लेने की जानकारी देना जरूरी
अगर हां, तो फिर कोरोना टीका लेने की जरूरत क्या है? इतना ही नहीं कुछ बीमारियों से ग्रस्त मरीज खून पतला रखने के लिए दवाएं भी ले रहे हैं। कोरोना टीका लेते वक्त क्या इन्हें अपनी दवाओं का सेवन जारी रखना है या नहीं? ऐसे कई सवाल लोगों के जहन में हैं जिनके जवाब आईसीएमआर के सलाहकार डॉ. एनके अरोड़ा ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में जवाब दिए।

डॉ. अरोड़ा के मुताबिक, कुछ ही समय पहले दिल्ली में 50 फीसदी से अधिक लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी मिली हैं। ऐसे में चर्चा है कि दिल्ली में कोरोना वायरस के लिए हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण इससे सहमत नहीं है।

कई देशों में 76 फीसदी हर्ड इम्युनिटी प्राप्त होने के बाद भी चार हफ्ते में उन देशों में तेजी से कोरोना संक्रमण बढ़ गया। हर्ड इम्युनिटी के बारे में अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। एक सवाल के जवाब पर डॉ. अरोड़ा ने कहा कि जो भी दवाइयां बीमारी की ले रहे हैं उन्हें लेते रहिए, उससे इस टीका में कोई भी दिक्कत नहीं होती है।

अगर कोई व्यक्ति खून पतला करने की दवा ले रहा है तो वह टीका ले सकता है। चूंकि टीका देते समय बहुत पतली सूई प्रयोग की जाती है लेकिन यह जरूरी है कि दवा के बारे में अपने टीकाकरण अधिकारी को जानकारी जरूर दे दें। जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा या सांस संबंधी कोई बीमारी है तो उन व्यक्तियों को भी कोरोना का वैक्सीन जरूर लगवाना चाहिए।

संक्रमण के बाद भी एक तिहाई में एंटीबॉडी नहीं
डॉ. अरोड़ा ने बताया कि कोरोना होने के बाद लोग सोचते हैं कि उनके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित हो चुकी हैं लेकिन अपने ही देश में कम से कम एक तिहाई लोग ऐसे हैं जिन्हें संक्रमण होने के बाद भी प्रतिरोधक क्षमता वाली एंटीबॉडी पैदा नहीं हुईं। अगर एक बार एंटीबॉडी पैदा भी हुई तो वह कितने दिन चलेगी, इसका भी अभी अंदाजा नहीं है। इसीलिए जरूरी है कि टीकाकरण में शामिल होकर अपनी सुरक्षा करें।

टीके से टूटेगी संक्रमण चेन
डॉ. अरोड़ा का कहना है कि इस समय कोरोना काफी हद तक नियंत्रण स्थिति में दिखाई दे रहा है। उनसे अक्सर यह सवाल पूछा जा रहा है कि संक्रमण कम हो रहा है तो फिर टीका लगवाने की क्या जरूरत है? लेकिन इन लोगों को यह नहीं पता है कि वायरस बहरूपिया है और अपना स्वरूप बदल रहा है तो अगर मैंने उसकी कमजोर स्थिति में ही अधिक से अधिक लोगों को टीका दे दिया तो वायरस को म्यूटेट करने के लिए लोग ही नहीं मिलेंगे और संक्रमण की चेन तोड़ने में हम कारगर होंगे।