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वर्षों से चल रहे बिना लेनदेन के बैंक खातों पर अब आयकर विभाग की नजर, IT रिटर्न के दस्तावेज पहले से रहेंगे विभाग के पास…

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अगर आपको लगता है, वर्षों से बिना किसी लेनदेन के उपेक्षित पड़े उसके बैंक खातों में जमा रकम की जानकारी किसी को नहीं है तो फिर वह गलत सोच रहा है। आयकर विभाग की नजर अब ऐसे उपेक्षित बैंक खातों पर भी है। इसके लिए आयकर विभाग सूचना तकनीक का भरपूर उपयोग कर रहा है।

अगले साल से आयकर विभाग के पास सभी करदताओं की पहले से ही प्री-फीड रिटर्न जानकारी रहेगी, यानी करदाता अपने आयकर रिटर्न में जो जानकारी विभाग को देगा और दस्तावेज जमा करेगा वह विभाग के पास पहले से ही उपलब्ध होंगे।

यह जानकारी मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ क्षेत्र के प्रमुख मुख्य आयकर आयुक्त आरके पालीवाल ने दी। पालीवाल ने बताया, करदाता से पूछा ही नहीं जाएगा कि रिटर्न भरते वक्त स्टेटमेंट में दिए विवरण कहां है? करदाता के बरसों पुराने बैंक खाते, पोस्ट ऑफिस के खाते और उस पर मिलने वाले एक रुपए के भी ब्याज की जानकारी आयकर विभाग के पास होगी।

इस साल 280 करोड़ मिला व्यक्तिगत कर

आरके पालीवाल ने कहा, इस साल व्यक्तिगत कर करीब 280 करोड़ का मिला है। इसमें प्रोफेशनल्स, वकील, सीए, वेतनभाेगी, फर्म प्रोप्राइटर, कांट्रेक्टर्स आदि शामिल हैं। कॉर्पोरेट टैक्स करीब 800 करोड़ जमा हुआ है। उन्होंने बताया, कोरोना की वजह से विभाग ने टारगेट हासिल करने का कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं बनाया है। हमारा मकसद है कि राजस्व भले ही कम मिले, लेकिन आयकर प्रकरणों का ज्यादा से ज्यादा निपटारा हो। इकॉनामी रिवाइवल हो।

विवाद से विश्वास स्कीम अब 28 फरवरी तक

प्रमुख मुख्य आयकर आयुक्त पालीवाल ने बताया, विभाग की विवाद से विश्वास याेजना में आवेदन की तिथि 31 दिसम्बर 2020 से बढ़ाकर 28 फरवरी 2021 कर दी गई है। इसमें कर भुगतान 31 मार्च 2021 तक किया जा सकेगा। उन्होंने बताया, छत्तीसगढ़ में वर्षों से लंबित 8087 विवादों में से 3265 के समाधान के लिए इस योजना के तहत आवेदन आए हैं। यह 40 प्रतिशत से ज्यादा है।

पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी

प्रमुख मुख्य आयकर आयुक्त ने बताया, विवाद से विश्वास योजना की आवेदन सहित पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। आवेदन मिलने के बाद विभाग ऑनलाइन ही करदाता को बताता है कि उसके मुताबिक कितना कर विवादित है। अगर करदाता को आपत्ति है तो उसकी सुनवाई भी ऑनलाइन ही होगी। अगर वह सहमत है तो वह ऑनलाइन भुगतान कर प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेगा। उन्होंने बताया, इस योजना के तहत विवाद की सुनवाई संबंधित प्रदेश से बाहर होगी।