दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा ने कृषि कानून विरोधी आंदोलन के नेताओं को चिंतित कर दिया है। छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों ने आज रायपुर में एक बैठक कर हिंसा की निंदा की। किसान नेताओं ने इस हिंसा को केंद्र सरकार की साजिश बताया है। उन्होंने हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की भी मांग की है।
दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की समीक्षा के लिए छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल की आपात बैठक रायपुर के कलेक्टोरेट गार्डन में हुई। किसान नेताओ ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करते हुए दिल्ली में हुई हिंसा की कड़ी भर्त्सना की। उन्होंने घटना में शामिल लोगों की पहचान कर तत्काल कार्रवाई की मांग की ताकि आंदोलन को बदनाम करने की साजिश का पर्दाफाश हो सके।
किसान नेताओं ने कहा, केन्द्र सरकार किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून के खिलाफ जारी शांतिपूर्ण किसान आन्दोलन 26 जनवरी के आते-आते व्यापक हो गया था। आंदोलन की लोकप्रियता से घबराई केंद्र सरकार ने साजिश से इसे कुचलने का प्रयास किया है।
किसान नेताओं ने कहा, अब उसी साजिश के तहत किसान नेताओं पर झूठे मामले दर्ज कर आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया जा रहा है। देश की लोकतंत्र प्रेमी जनता केंद्र सरकार की साजिश को देख समझ रही है। नेताओं ने कहा, सत्याग्रही किसानों पर मुकदमें दर्ज करना सत्ता के दमन और अहंकार का परिचायक है। लोकतांत्रिक आंदोलन को खत्म करने का प्रयास है
बैठक में रूपन चन्द्राकर, वीरेंद्र पांडे, द्वारिका साहू, जनकलाल ठाकुर, शत्रुघन साहू, गौतम बंद्योपाध्याय, गजेंद्र सिंह कोशले, श्रवण चन्द्राकर, वेगेंद्र सोनबेर, डॉ. संकेत ठाकुर के साथ ही बलजिंदर सिंह, दलवीर सिंह, जसपाल सिंह शामिल हुए।
आंदोलन पर भरोसा कायम
हिंसा की घटनाओं के बावजूद किसान संगठनों का आंदोलन पर भरोसा कायम है। किसान नेताओं ने विश्वास जताया, केंद्र सरकार के दमनकारी नीतियों के बावजूद मौजूदा किसान आंदोलन पहले कहीं अधिक मजबूत होगा। उनका कहना था, आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि तीनों कृषि कानून वापस ना ले लिए जाएं।