Home जानिए कौन थे मौलवी अहमदुल्‍ला शाह जिनके नाम पर अयोध्‍या में बनेगी मस्जिद…जानिए

कौन थे मौलवी अहमदुल्‍ला शाह जिनके नाम पर अयोध्‍या में बनेगी मस्जिद…जानिए

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राम मंदिर के बाद अब उत्‍तर प्रदेश के अयोध्‍या में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक मस्जिद बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं. सोमवार को आई एक खबर पर अगर यकीन करें तो इंडो-इस्‍लामिक कल्‍चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) की तरफ से मस्जिद का नाम अहमदुल्‍ला शाह के नाम पर होगा. अगर आपको उनके बारे में नहीं पता है तो आपको बता दें कि अहमदुल्‍ला शाह को वॉर हीरो माना जाता है और सन् 1857 में भारत के पहले स्‍वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान आज तक याद किया जाता है. आईआईसीएफ को मस्जिद निर्माण के लिए सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड की तरफ से गठित किया गया है. हालांकि वक्‍फ बोर्ड का कहना है कि अंतिम निर्णय अलग-अलग मंच पर चर्चा के बाद लिया जाएगा.

अवध क्षेत्र में फूंका आजादी का बिगुल

अहमदुल्‍ला शाह को अवध क्षेत्र में ‘विद्रोह की मशाल’ माना जाता है. शाह को मौलवी फैजाबादी के नाम से भी जाना जाता है. पांच जून 1858 को उस समय उनकी मृत्‍यु हो गई थी जब वह ब्रिटिश सेनाओं के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन को लीड कर रहे थे जो कि हथियारों से लैस था. कहा जाता है कि उन्‍होंने अवध क्षेत्र के तहत आने वाले फैजाबाद और कुछ और हिस्‍सों को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराया था. इसके साथ ही अलग-अलग हिस्‍सों में विद्रोह को हवा दी थी. इतिहासकार राम शंकर त्रिपाठी ने तो यहां तक दावा किया था कि आरा के शाही परिवार के कुंवर सिंह और कानपुर के नाना साहिब ने शाह के साथ मिलकर 1857 में क्रांति की लड़ाई लड़ी थी.

अंग्रेज नहीं पकड़ सके थे जिंदा

इस्‍लाम को मानने वाले शाह को फैजाबाद में गंगा-जमुनी तहजीब के स्‍तंभ के तौर पर भी देखा जाता है. कहा जाता है कि अंग्रेज कभी भी मौलवी को जिंदा नहीं पकड़ पाए थे. अंग्रेजों ने उन्‍हें पकड़ने पर 50,000 चांदी के टुकड़े देने का ऐलान भी किया था. कहते हैं कि आखिर में पोवायान के राजा जगन्‍नाथ सिंह ने उनकी हत्‍या कर दी थी और उनका सिर मजिस्‍ट्रेट के सामने पेश किया था. राजा जगन्‍नाथ को अंग्रेजों की तरफ से तय किया गया ईनाम दिया गया था. इसके अगले दिन उनके सिर को कोतवाली में लटका दिया गया था.

अंग्रेजी के अच्‍छे जानकार

अहमदुल्‍ला का परिवार हरदोई के गोपामान का वंशज था. उनके पिता गुलाम हसन खान, हैदर अली की सेना में सीनियर ऑफिसर थे तो उनके वंशज हथियारों के बड़े खरीददार थे. मौलवी शाह की अंग्रेजी भाषा पर अच्‍छी पकड़ थी. इस्‍लामिक शिक्षा हासिल करने के बाद उन्‍होंने धर्मार्थ के कामों की ट्रेनिंग ली थी. उस दौर में वह इंग्‍लैंड, सोवियत यूनियन, ईरान, ईराक, मक्‍का और मदीना तक जा चुके थे और साथ ही हज भी कर चुके थे. वह मानते थे कि अगर आजादी के लिए हथियारबंद संघर्ष का होना काफी जरूरी है और लोगों की मदद के बिना यह संभव नहीं हो सकता है. अपने मिशन को सफल करने के लिए वह दिल्‍ली, मेरठ, पटना, कोलकाता और कई और जगहों पर गए.