उर्जित पटेल को सब जानते है, रघुराम राजन को भी सब जानते है अरविंद सुब्रमण्यम को भी सब जानते है लेकिन क्या आप S. K रॉय को जानते है, नही न? आपने उनका नाम भी नही सुना होगा!, …………….
ऊपर जिन तीन व्यक्तियों का नाम लिया है उन्हें मोदी सरकार के दबाव में अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा उर्जित पटेल और रघुराम राजन रिजर्व बैंक के गवर्नर थे ओर अरविंद सुब्रमण्यम मुख्य आर्थिक सलाहकार थे…….. ऐसे ही एस के राय भी थे जो LIC के चेयरमैन थे जिन्हें मोदी सरकार के दबाव में 2016 में अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा………
वित्तीय सेवाओं के विभाग (डीएफएस) के ऑर्डर के मुताबिक 2013 में LIC के चेयरमैन के पद पर एस.के. रॉय की नियुक्ति हुई थी जो पांच साल तक के लिए थी ओर 2018 में खत्म हो रही थी। दरअसल तीन साल के कार्यकाल के बाद अगले दो साल के लिए एलआईसी चेयरमैन को फिर से वित्त मंत्रालय के पैनल के समक्ष हाजिर होना होता है जिसमें समीक्षा होती है यह बैठक 29 जून 2016 को थी रॉय ने 25 जून 2016 को ही इस्तीफा दे दिया साफ था कि उन पर वित्त मंत्रालय द्वारा ऐसे कार्यो पर सहमति देने का दबाव बनाया जा रहा था जिससे LIC के हितों को दीर्धकालीन नुकसान पुहंच रहा था और उन्होंने भी रघुराम राजन ओर उर्जित पटेल की तरह झुकने के बजाए इस्तीफा देना उचित समझा
उनके बाद VK शर्मा LIC के चेयरमैन बने जो जनवरी 2019 तक रहे उनके बाद हेमंत भार्गव अंतरिम चेयरमैन बने अभी वर्तमान में एम आर कुमार LIC के चेयरमैन है जो पाँच सालो के लिए नियुक्त किये गए हैं
V K शर्मा के ही कार्यकाल मे LIC को IDBI बैंक में हिस्सेदारी खरीदने को सरकार द्वारा मजबूर किया गया एलआईसी ने इस अधिग्रहण के तहत 28 दिसंबर 2018को आईडीबीआई बैंक में 14,500 करोड़ रुपये डाले थे. उसके बाद 21 जनवरी 2019 को उसने बैंक में 5,030 करोड़ रुपये और डाले. तब भी बाजार के विश्लेषकों और जानकारों ने इस फैसले पर हैरानी और नाखुशी जताई थी क्योंकि एलआईसी के पास बैंक चलाने का हुनर और अनुभव नहीं था और IDBI बैंक देश के बीमारू सरकारी बैंकों में सर्वाधिक एनपीए अनुपात वाला बैंक था
एलआईसी के बड़ी हिस्सेदारी खरीदने पर सेबी के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन से पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि, इससे ना तो एलआईसी को फायदा होगा ना आईडीबीआई बैंक को……आज यह बात सही सिद्ध हो रही क्योंकि सरकार आईडीबीआई बैंक में अब अपना बचाखुचा हिस्सा भी बेचने को तैयारी कर रही है, इस बजट में उसने इसकी घोषणा कर दी है
अब LIC के चेयरमैन के पद पर पपेट बिठाए जा रहे हैं जो मोदी सरकार के हर गलत निर्णय पर भी हा में गर्दन हिलाए जा रहे है,LIC का भविष्य अब अंधकारमय नजर आ रहा है……..