इस्लामाबाद। जरा सी बात पर परमाणु हमले की धमकी देने वाले पाकिस्तान अपने लोगों को रोटी तक नहीं खिला पा रहा है। वर्ल्ड बैंक के कर्ज तले दबे पाकिस्तान में अब रोटी की समस्या पैदा हो गई है। यहां कुछ प्रांत आटे की कमी से जूझ रहे हैं। इस कारण यहां पर लोगों को रोटी तक नसीब नहीं हो पा रही है।
पाकिस्तान में गेंहू के आटे कि किल्लत के चलते लोग रोटियों के लिए तरस रहे हैं। ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में नान बनाने वाली कई दुकानें आटे की कमी के चलते बंद हो गई हैं। वहीं सरकार का दावा है कि देश में आटे-गेहूं की कमी नहीं है और जानबूझकर यह संकट पैदा किया गया है। लेकिन जमीनी स्तर पर देखें तो आम लोग आटे की कमी से जूझ रहे हैं और कई प्रांतों में नान की बिक्री प्रभावित हुई है।
ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह में क़ीमतें बढ़ने के बाद से कई शहरों में बेकर हड़ताल पर चले गए हैं। पेशावर शहर में नान की कई दुकानें बंद रहीं। ऐसे में ज़्यादातर लोगों के पास अब चावल ही विकल्प है। पेशावर में आमतौर पर यह चलन है कि लोग नान ख़रीदते हैं और ये एक बड़ी वजह है जिसके चलते शहर में ढाई हज़ार से भी ज़्यादा नान बनाने की दुकानें हैं।
प्रांत में नानबाई एसोसिएशन (बेकर्स एसोसिएशन) के अध्यक्ष हाजी मुहम्मद इक़बाल के मुताबिक एक महीने पहले तक 85 किलोग्राम मैदा क़रीब चार हज़ार रुपये में मिला करता था जबकि मौजूदा समय में इसकी क़ीमत बढ़कर पांच हज़ार के पार हो गई है। लेकिन दाम सिर्फ़ आटे-मैदे के नहीं बढ़े हैं। इनके साथ-साथ गैस की क़ीमतें भी आसमान पर पहुंच गई हैं। ऐसे में नान और रोटियों के दाम तो बढ़ना तय ही है, इस सबके बावजूद सरकार का दबाव है कि रोटियों और नान की क़ीमतें ना बढ़ाई जाएं।