प्रदेश की आबोहवा न सिर्फमानव जीवन पर बुरा प्रभाव डाल रही है, बल्कि दुधारु पशुओं को भी बीमार कर रही है। इससे जहां पशुपालक बेहद चिंतित हैं। पशुविभाग सेवाएं के अंतर्गत प्रदेश सहित रायपुर में चल रहे पशु अस्पतालों में सुविधाओं की दरकार है। ऐसे में दुधारू पशुओं में रक्त की कमी यानी एनीमिया के लक्षण लगातार बढ़ रहे हैं।
उपचार नहीं मिलने के कारण पशुओं की मौत हो रही है। ज्ञात हो कि पशु विभाग सेवाएं लैब के स्वास्थ्य जांच में प्रदेश भर में बड़ी तादात में पशु इस बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं। इनमें गोवंशीय पशुओं की संख्या सर्वाधिक है। विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 16 जिलों में से रायपुर जिले में एनीमिक (प्रोटोजोन ) पशुओं की संख्या 585 है, जो कि सर्वाधिक पाई गई है।
पेंड्रा में एनीमिक गाय को चढ़ा ब्लड
बता दें कि कुछ दिन पहले पेंड्रा में एक जर्सी गाय को ब्लड चढ़ाया गया था, जो कि एनीमिया से ग्रस्त थी। प्रदेश में यह पहली बार हुआ, जब किसी गाय की बछिया को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। वहीं पशुविभाग चिकित्सकों का कहना है कि यदि पेंड्रा की तर्ज पर सभी सरकारी पशु अस्पतालों में एनिमिक पशुओं को ब्लड चढ़ाना शुरू हो जाए। इससे गोवंश में एनीमिया को दूर किया जा सकता है।
20 हजार पशुओं के स्वास्थ्य की जांच
राज्य स्तरीय जांच लैब में रोजाना पशुपालकों के माध्यम से रोग की जांच के लिए ब्लड सैंपल पहुंचते हैं। इसमें कई पशु में प्रोटोजोन रोग की शिकायत मिलती है। विभागीय सूत्रों की मानें तो अप्रैल से नवंबर 2019 तक लगभग प्रदेश के 16 जिलों में लगभग 20 हजार पशुओं के ब्लड सैंपल की जांच हुई है। इसमें 4,120 पशु प्रोटोजोन रोग से ग्रस्त हैं। जांच में ब्लड की मात्रा आठ ग्राम पर डीएल पाई गई । पशु चिकित्सक डॉ. राजमणि विश्वकर्मा का कहना है कि प्रोटोजोन से पशुओं में खून की कमी होने लगती है। खून नहीं चढ़ाया गया तो पशु की मौत हो जाती है।
ब्लड की मैचिंग के लिए
एनीमिया से ग्रस्त पशुओं में ब्लड चढ़ाने के लिए बहुत अधिक खर्च की जरूरत नहीं है, बल्की सामान्य मनुष्यों के तर्ज पर ब्लड चढ़ाने की ही एक प्रक्रिया है। बस ब्लड चढ़ाते समय कुछ जरूरी निर्देश का ध्यान रखना जरूरी है। मैचिंग के बाद ही ब्लड चढ़ाना चाहिए। इसके लिए पशुचिकित्सक के देख रेख में पूरी प्रक्रिया किया जाना चाहिए। ग्लूटिनेशन न होने पर रक्त चढ़ाया जा सकता है यानी रक्त पतला होगा तो उसे चढ़ाया जा सकता है। स्वस्थ पशुओं के केस में सिर्फ नस्ल का ध्यान रखना चाहिए।
ब्लड चढ़ाने के लिए जरूरी निर्देश
-जिस नस्ल के पशु को ब्लड चढ़ाना है, उसी नस्ल के पशु से ब्लड लिया जाए।
-क्रास ब्रीड का पशु है तो क्रास ब्रीड के पशु का ब्लड रहे ।
-ब्लड चढ़ाने से पहले रक्तदाता पशु के स्वास्थ्य की जांच हो।
-डोनर पशु का हिमोग्लोबिन 10 ग्राम पर डिएल से कम नहीं हो।
-ब्लड चढ़ाने से आधा घंटे पहले ब्लड निकाला जाए।
– अगर कोई दुधारू पशु गर्भ धारण किए है तो उसका ब्लड न लें।
जिलों में प्रभावित पशुओं की संख्या
– रायपुर 584
-रायगढ़ 570
-दुर्ग 495
-महासमुंद 406
-अंबिकापुर 330
-राजनांदगांव 232
जल्द शुरू होगी सुविधा
राज्य स्तरीय लैब में कुछ मशीन आना बाकी है। एनीमिया से ग्रस्त मवेशियों को खून चढ़ाने की सुविधा शुरू की जाएगी।