मध्य प्रदेश में एक जगह है भिंड. फ़िल्मों में इसका नाम डकैतों के सन्दर्भ में खूब सुना है. लेकिन इस बार डकैती का नहीं बल्कि कन्फ्यूज़न का मामला है. घना कन्फ्यूज़न. हुआ ये कि भिंड में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की आलमपुर शाखा में 2 खाते खुले. दोनों का खाता संख्या यानी अकाउंट नंबर एक ही लिख दिया गया. बैंक ने पासबुक दी. उसमें कस्टमर नंबर भी एक ही लिख दिया गया. यानी अकाउंट एक और उसके मालिक दो.
यहां तक भी समझा जा सकता था. ह्यूमन एरर. हो ही जाती है. लेकिन मामला हाथ से तब निकलने लगा जब इस अकाउंट का एक मालिक उसमें पैसे डालता और दूसरा निकाल लेता. और ऐसा 6 महीनों तक चलता रहा. इन 6 महीनों में 89 हज़ार रुपये खाते से निकाले गए.
आलमपुर में एक गांव है जिसका नाम है रुरई. यहां रहते हैं हुकुम सिंह. इन्होंने अपना खाता स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की आलमपुर ब्रांच में खुलवाया. उन्हें 12 नवम्बर 2018 को बैंक की ओर से पासबुक मिली. अकाउंट खुलवाने के बाद हुकुम सिंह हरियाणा चले गए. वहां वो पैसे कमाते और अपने आलमपुर ब्रांच वाले खाते में पैसे डालते रहते. 16 अक्टूबर 2019 को वो वापस अपने गांव आये. उन्हें पैसों की ज़रूरत पड़ी तो बैंक गए. खाते से पैसे निकालने लगे तो मालूम पड़ा कि उनके खाते से इस बीच काफ़ी पैसे निकाले गए हैं. कैल्कुलेट किया तो 89 हज़ार रुपयों का अंतर था. हुकुम तुरंत ही सारा मामला बैंक मैनेजर राजेश सोनकर के पास लेकर पहुंचे.
मामले की जांच की जाने लगी और इसी क्रम में ये मालूम चला कि सब कुछ एक गलती की वजह से हुआ है. 1 ही अकाउंट नंबर 2-2 लोगों को अलॉट करने की गलती. असल में यही अकाउंट नंबर रोनी गांव के रहने वाले एक आदमी को भी दे दिया गया था. ये कन्फ्यूज़न क्यूं हुआ, ये भी यहीं पता चल गया. इन हज़रात का नाम भी हुकुम सिंह ही था. हुकुम सिंह बघेल. इन्हें 23 मई 2016 को पास बुक इश्यू हुई थी. यानी हरियाणा चले जाने वाले और वहां से खाते में पैसा डालने वाले हुकुम सिंह से काफ़ी पहले.
दो-दो लोग और एक ही अकाउंट नंबर
जैसे ही ये साफ़ हुआ. बैंक ने दोनों हुकुम सिंहों को बुलाया. हुकुम सिंह बघेल को बताया कि वो जो पैसा निकाल रहे थे वो पैसा उनका नहीं बल्कि हुकुम सिंह का है. हुकुम सिंह बघेल ने असल में अपना खाता अपने आधार से लिंक करवा लिया था. लिंक करवाने के बाद वो कियोस्क सेंटर जाते और अपना अंगूठा मशीन में छुआ के रुपयों की निकासी करवा लेते. इस तरह से उन्होंने थोड़ा-थोड़ा कर के 89 हज़ार रुपये निकाल लिए.
सारा मामला सामने आने पर बैंक में उनसे पूछा गया कि जब वो खाते में पैसा डाल ही नहीं रहे थे तो निकाल किस हक़ से रहे थे. इस पर हुकुम सिंह बघेल ने जो जवाब दिया उसके बाद उनसे कोई और सवाल नहीं किया गया. हुकुम सिंह बघेल ने कहा – ‘मुझे लगा मोदी जी अकाउंट में पैसा डलवा रहे हैं.’
इसके बाद बैंक ने एक सादे काग़ज़ पर हुकुम सिंह बघेल से ये लिखवाया कि वो हुकुम सिंह को 89 हज़ार रुपये 3 किस्तों में लौटायेंगे. हुकुम सिंह बघेल ने इस काग़ज़ पर साइन किया और इस तरह से मामले का हल निकला.