अगर आपको हर समय सुस्ती या आलस आना, चेहरे पर कील मुंहासे निकलना, बाल गिरना, पेट की बीमारियां रहना, अपच और इन्फेक्शन जैसी समस्याएं रहती हैं, तो इसका मतलब है कि आपके शरीर में गंदगी जमा हो चुकी है, जिसे साफ करना बहुत जरूरी है।
खराब लाइफस्टाइल और डाइट की वजह से शरीर बीमारियों का घर बनने लगता है। यही वजह है कि आजकल हर दूसरा व्यक्ति पेट दर्द, गैस, एसिडिटी, कब्ज और पेट में जलन जैसी समस्याओं से घिरा रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान समय में करीब 70 प्रतिशत लोगों का सुबह शौच के समय पेट साफ नहीं होता है।
अगर आप शरीर की गंदगी को बाहर निकालकर इन समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको हरड़ या हरीतकी का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार हरड़ का आंतों पर प्रभाव सौम्य होता है। आंतों की नियमित सफाई के लिए नियमित रूप से हरड़ का प्रयोग लाभकारी है।
हरड़ में 18 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। जिसमें मुख्यतः टैनिक अम्ल, गैलिक अम्ल, चेबूलीनिक अम्ल जैसे ऐस्ट्रिन्जेन्ट आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त इसमें जल तथा अन्य अघुलनशील पदार्थ भी होते हैं।
पेट को साफ करने के अलावा हरड़ का बवासीर रोग में भी बहुत लाभकारी होता है। लंबे समय से चली आ रही पेचिश तथा दस्त आदि से छुटकारा पाने के लिए हरड़ का प्रयोग किया जाता है। अतिसार में हरड़ विशेष रूप से लाभकारी है। यह आंतों को संकुचित कर रक्तस्राव को कम करती हैं वास्तव में यही रक्तस्राव अतिसार के रोगी को कमजोर बना देता है। हरड़ एक अच्छी जीवाणुरोधी भी होती है।
पेट के सभी रोगों से छुटकारा पाने के लिए हरड़ के चूर्ण की तीन से चार ग्राम मात्रा का दिन में दो−तीन बार सेवन करना चाहिए। कब्ज के इलाज के लिए हरड़ के पाउडर में घी, शहद और नमक मिलाकर लेना चाहिए। हरड़ के चूर्ण को गुड़ या मिश्रण के साथ लेने से बवासीर तथा खूनी दस्त ठीक हो सकते हैं।
इसके अलावा इन रोगों के उपचार के लिए हरड़ का चूर्ण दही या मट्ठे के साथ भी दिया जा सकता है। लीवर, स्पलीन बढ़ने तथा उदरस्थ कृमि आदि रोगों की इलाज के लिए लगभग दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा इस जड़ी बूटी का दुर्बल नाड़ियों को मजबूत बनाने के लिए भी किया जाता है।