चाहे गर्मी से सर्दी में बदलता मौसम हो या सर्दी से गर्मी, बदलते मौसम के साथ नाक बहना, आंखों में जलन और छाती जमना आम बात होती है। यह ऐलर्जी बहुत परेशान करने वाली होती है और अगर तुरंत इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है। ऐलर्जी शरीर की रोग-प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हेस्टामाइन निकलता है जो तेजी से फैल कर ऐलर्जी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है।
ऐलर्जी के लक्षण
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मनोनीत अध्यक्ष ने कहा कि ऐलर्जी के लक्षणों में जुकाम, आंखों में जलन, गला खराब होना, बहती या बंद नाक, कमजोरी और बुखार प्रमुख हैं। अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह हल्की ऐलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है। इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपको किस चीज से ऐलर्जी है। तभी आप ऐलर्जी से बच सकते हैं और होने पर इलाज भी हो सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐलर्जी की पहचान करने के लिए कई किस्म के टेस्ट किए जाते हैं। ऐलर्जी स्किन टेस्टिंग जांच का सबसे ज्यादा संवेदनशील तरीका है, जिसके परिणाम भी तुरंत आते हैं। जब स्किन टेस्ट से सही परिणाम न मिलें, तब सेरम स्पैस्फिक एलजीई ऐंटी बॉडी टेस्टिंग जैसे ब्लड टेस्ट भी तब किए जा सकते हैं। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ऐलर्जी का सबसे बेहतर इलाज यही है कि जितना हो सके ऐलर्जी वाली चीजों से बचें। मौसमी ऐलर्जी बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है, लेकिन 6 से 18 साल के बच्चों को इससे प्रभावित होने की ज्यादा संभावना होती है।
ऐसे करें बचाव
-ऐलर्जी से बचने के लिए फ्लैक्स के बीज से प्राप्त होने वाले प्राकृतिक फैटी ऐसिड काफी मददगार साबित होते हैं।
-रेशा बनाने वाले पदार्थ जैसे कि दूध, दही, प्रॉसेस्ड गेहूं और चीनी से परहेज करें। अदरक, लहसुन, -शहद और तुलसी ऐलर्जी से बचाव करते हैं।
-अगर आपको धूलकणों या धागे के रेशों से ऐलर्जी है तो हाईपो अलर्जिक बिस्तर खरीदें। आसपास का माहौल धूल और प्रदूषण मुक्त रखें।
-सीलन भरे कोनों में फफूंद और परागकणों को साफ करें।
-बंद नाक और साइनस से आराम के लिए स्टीम इनहेलर का प्रयोग करें।