उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से ‘मुकम्मल इंसाफ’ की उम्मीद की है। बोर्ड ने साथ ही कहा है कि उसने अयोध्या मामले में गठित मध्यस्थता पैनल के सामने जो भी प्रस्ताव दिया है, वह मुल्क के भले के लिए है और हिन्दुस्तान के तमाम अमन पसंद लोगों की इसमें रजामंदी होगी।
बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने रविवार को कहा कि बोर्ड ने अपने तमाम सदस्यों के साथ विचार-विमर्श करके मध्यस्थता पैनल के सामने प्रस्ताव रखा था।
उन्होंने कहा कि अयोध्या का मसला बेहद संवेदनशील है और उससे जुड़े अहम पक्षकारों का रुख मुल्क के भविष्य पर असर डाल सकता है लिहाजा इसे इंतहाई सलीके से संभालना होगा।
फारूकी ने कहा कि उन्हें यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर ‘मुकम्मल इंसाफ’ करेगा। उन्होंने कहा, ‘हमने मध्यस्थता पैनल को जो भी प्रस्ताव दिया है, वह एक तो मुल्क के मफाद (भले) में है और अगर अदालत इसे मंजूर कर लेती है तो तमाम अमनपसंद हिन्दुस्तानियों की इसमें ताईद (रजामंदी) होगी।
उन्होंने कहा कि इस वक्त भी काफी लोग हमारा समर्थन कर रहे हैं। चूंकि कानूनी वजूहात (कारण) हैं इसलिये हम मध्यस्थता पैनल को दिये गये प्रस्ताव का खुलासा नहीं कर सकते।’
फारूकी ने कहा कि बोर्ड ने मध्यस्थता पैनल को जो प्रस्ताव दिया है, उसे यह न समझा जाए कि हम विवादित जमीन पर अपने दावे से हट रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत यह अधिकार है कि वह मुकम्मल इंसाफ करने के लिये कुछ भी फैसला कर सकता है।
हम अदालत से सम्पूर्ण न्याय चाहते हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि जब भी कोई कदम उठाया जाता है तो कुछ लोग उसका समर्थन करते हैं तो कुछ उसका विरोध करते हैं।
मालूम हो कि अयोध्या मामले में प्रमुख पक्षकार उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस प्रकरण में गठित मध्यस्थता पैनल के सामने एक प्रस्ताव रखा है।
इस प्रस्ताव को अयोध्या प्रकरण की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जा चुका है। चूंकि अदालत ने मध्यस्थता पैनल की तमाम कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा रखी है इसलिए प्रस्ताव में लिखी बातों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पायी है।