छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा में किडनी खराब होने से परेशान ग्रामीणों से मिलने की राज्यपाल की घोषणा के बाद सियासी हलचल तेज हो गई। शनिवार को पूरे दिन सियासी बयानबाजी सुपेबेड़ा के इर्द-गिर्द होती रही। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने कहा था कि हेलिकॉप्टर मिले या न मिले, वह सुपेबेड़ा जाएंगी। सुपेबेड़ा के हालात बहुत खराब है, राज्य सरकार को गंभीर होना चाहिए। इस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि वे सुपेबेड़ा को लेकर राज्यपाल के बयान से हतप्रभ हैं। राज्यपाल वहां जाएं, उनका स्वागत है। साथ ही इससे केंद्र सरकार को भी अवगत कराएं। सरकार भी जानना चाहती है कि सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी की वास्तविक वजह क्या है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्यपाल के दौरे के बाद केंद्र सरकार भी इसमें पहल करे।
राज्य से समस्या नहीं सुलझती तो केन्द्र आकर देख
मुख्यमंत्री के बयान के बाद राज्यपाल अनुसुईया उइके ने एक बार फिर सुपेबेड़ा दौरे को लेकर स्थिति को साफ किया। राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने जो कुछ कहा था, वो मानवीय दृष्टिकोण से कहा था। वहां के प्रभावितों के लिए राज्य सरकार कोई काम करती है, तो ये अच्छी बात है। वहां के पीड़ित लोगों को मदद दी जानी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि वो इस मामले में केंद्र को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराएंगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भूपेश बघेल प्रदेश के मुखिया होने के नाते इस समस्या के समाधान के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं। वहां बहुत बड़ा स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि मैं समझती हूं कि अगर वहां पर भारत सरकार की आवश्यकता है, तो निश्चित रूप से मैं उनको अवगत कराऊंगी कि जिम्मेदारी भारत सरकार की भी है। अगर कोई समस्या राज्य सरकार से नहीं सुलझ सकती तो केंद्र सरकार को चाहिए कि वो भी आकर देखें। राज्यपाल के बयान के कुछ घंटे बाद ही डीकेएस और एम्स के डाक्टरों की टीम शनिवार की सुबह ही प्रभावित गांव पहुंची और कैंप लगाकर लोगों का इलाज किया।