यह एनाकोंडा किसी फिल्म के किरदार का नाम नहीं है, बल्कि एक मालवाहक ट्रेन है, जो सामान्य मालगाड़ी से तीन गुना से भी अधिक बड़ी है। इस मालगाड़ी में 180 वैगन हैं, जबकि सामान्य मालगाड़ी में 50 वैगन होते हैं। एनाकोंडा की लंबाई करीब चार किलोमीटर है। एनाकोंडा को अभी रायपुर से रायगढ़ और कोरबा तक चलाया जा रहा है। यह अनूठा प्रयोग पूरे देश में सिर्फ रायपुर मंडल में किया जा रहा है। एक बार में सामान्य ट्रेन में करीब चार करोड़ का मालभाड़ा मिलता है। जबकि एनाकोंडा से रेलवे को 12 करोड़ रुपये की आय सिर्फ रायपुर से कोरबा तक हो जाती है।
एनाकोंडा को डिमांड के हिसाब से जोन के अन्य रूटों पर भी चलाने की तैयारी है। इसके फायदे हैं कि तीन ट्रेन में नौ क्रू मेंबरों की ड्यूटी होती है, इसमें सिर्फ तीन कर्मचारी लगते हैं। एक इंजन से ही पूरी मालगाड़ी चलाई जा रही है। इस नायाब पहल को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने अन्य जोनों को भी अपनाने का सुझाव दिया है। इसमें सिर्फ इंजीनियरिंग टीम की ही कला है। रेलवे के मुताबिक एनाकोंडा के चलने से माल ढुलाई से रेलवे को प्राप्त होनी वाली आय में लगभग 2.5 गुना वृद्धि हुई है।
–आने वाले समय में वाल्टेयर रूट पर भी करेगी कोयला की ढुलाई
आने वाले समय में इस मालगाड़ी को वाल्टेयर रूट सहित अन्य स्थानों के लिए भी चलाया जाएगा। क्योंकि इससे एक साथ भारी मात्रा में कोयला और सीमेंट की ढुलाई की जा सकती है।
–मिलेगी ट्रैकों पर मालगाड़ी की ट्रैफिक से निजात
रेलवे के मुताबिक ऐसी मालगाड़ी को चलाने से सभी रूटों पर मालगाड़ियों के ट्रैफिक से निजात मिल जाएगी। क्योंकि मालगाड़ियों के चलते एक से दो घंटे तक अधिकांश ट्रेनें प्रभावित होती हैं।
–इस तरह हो रहा संचालन
लीडिंग लोको में चालक दल और अंतिम गार्ड ब्रेक वान में गार्ड उपस्थित रहता है। बीच के दोनों इंजन रेडियो फ्रिक्वेंसी से लीड लोको से सिग्नल पर कार्य करते हैं। इससे रेलवे की बहुमूल्य श्रम शक्ति और ट्रेन प्रचालन समय की बचत होती है। साथ ही वैगन के कलपुर्जों की आयु बढ़ जाती है।
वर्जन–
एनाकोंडा को चलाने से रेलवे की आय में वृद्धि हुई है। इसे अभी प्रायोगिक रूप से चलाया जा रहा है।- तन्मय मुखोपाध्याय, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक