मध्य प्रदेश की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी निकाय चुनाव के दौरान महापौर (मेयर) का चुनाव पार्षद कर सकते हैं। इसको लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को बयान दिया कि अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली में कोई खराबी नहीं है। मंत्रिमंडल की उपसमिति गठित की गई है। समिति की अनुशंसा के आधार पर फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान का जहां कांग्रेस ने स्वागत किया है, वहीं भाजपा और छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जेसीसीजे) विरोध में खड़े हो गए हैं।
भाजपा बोली- सीएम जुबान से मुकरे, अमित जोगी ने कहा- पार्षदों के खरीद फरोख्त की आशंका
- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान के सामने आने के बाद राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। इस फैसले का विपक्षी पार्टियों ने विरोध शुरू कर दिया है। जेसीसीजे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने तो निकाय चुनाव में प्रत्यक्ष प्रणाली खत्म करने की आशंका के चलते पहले ही बयान दे दिया था। उन्होंने कहा कि दलबदल कानून के प्रावधानों को निकाय के जन प्रतिनिधियों पर भी लागू किया जाए।
- जोगी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने अाशंका जताई है कि अप्रत्यक्ष चुनाव के कारण पार्षदों की खरीद फरोख्त भी की जा सकती है। वहीं भाजपा सांसद सुनील सोनी ने भी कहा कि सीएम बघेल अपने ही जुबान से मुकर गए हैं। पहले फैसला कुछ और लिया गया था। दूसरी ओर पूर्व मेयर और कांग्रेस नेता किरणमयी नायक ने मुख्यमंत्री के इस फैसले का स्वागत किया है। उनके मुताबिक सीएम बघेल का ये फैसला सराहनीय कदम है।