उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की पीसीएस परीक्षा 2017 का परिणाम घोषित हो गया है। इस बार के रिजल्ट में भी कई अभ्यर्थियों की किस्मत चमकी है। इसी कड़ी में एक नाम है अनुपम मिश्रा का, जिन्होंने तीस लाख के पैकेज की नौकरी छोड़ सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की और अब उनकी मेहनत रंग लाई है। हालांकि अनुपम का सपना आईएएस बनने का है, जिसके लिए वो प्रयासरत हैं।अनुपम मिश्रा का परिचय
अनुपम मिश्रा प्रयागराज शहर के नैनी के एडीए कालोनी के रहने वाले हैं। पिता प्रमोद कुमार मिश्रा भारतीय जीवन बीमा निगम में हेड एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर के पद पर तैनात हैं। अनुपम दो बहनों के बीच एकलौते भाई हैं। राजकीय इंटर कॉलेज प्रयागराज से साल 2004 में हाईस्कूल और साल 2006 में इंटरमीडिएट की परीक्षा 85 प्रतिशत अंकों के साथ पास की। अनुपम मिश्रा ने वर्ष 2012 में एमएनएनआईटी, प्रयागराज से कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया और पढ़ाई पूरी होते ही वर्ष 2012 में अमेरिकन कंपनी में अच्छी जॉब मिल गई। शुरूआत में अनुपम को 15 लाख सालाना का पैकेज दिया गया था।
अमेरिकन कंपनी की छोड़ी जॉब
अमेरिकन कंपनी क्रोनोज में सीनियर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर तैनात रहे अनुपम मिश्रा ने अपने बढ़ते कैरियर को बीच में ही छोड़ने का उस वक्त फैसला किया जब उन्होंने अपने दादा की इच्छा के तहत व कुछ अलग करने की ख्वाहिश तेज हो गयी।
साल 2016 में अनुपम ने जब रिजाइन किया तो उस वक्त उनका सालान पैकेज 30 लाख रूपये था। अनुपम ने फैसला किया कि वह अपने बाबा का सपना भी पूरा करेंगे और अपनी ख्वाहिश को भी पूरी करेंगे। अनुपम वापस घर आ गये और तैयारी शुरू कर दी और अब पीसीएस 2017 का रिजल्ट आने पर वह उसमें दूसरी रैंक के साथ टॉपर बन गये हैं।
आईएएस बनना है सपना
प्रयागराज जिले के ग्रामीण इलाके करछना तहसील में पीड़ी राम का पूरा गांव पड़ता है। इसी गांव के मूल रूप से रहने वाले अनुपम के बाबा त्रियुगी नारायण मिश्रा पुलिस विभाग में दीवान थे और हमेशा से अपने नाती को अधिकारी बनते देखना चाहते थे। पढ़ाई में बेहद मेधावी अनुपम इंजीनियर बनकर बहुत आगे निकल गये।
लेकिन, बाबा के देहांत के बाद अनुपम ने उनका सपना पूरा करने की जिद पाली और अब डिप्टी कलक्टर बन गये हैं। अनुपम डीएम बनना चाहते हैं और वह इसके लिये पूरी सिद्दत के साथ जुटे हुये हैं, पिछले बार वह आईएएस की परीक्षा में एक नंबर से चूक गये थे। पर अब वह और जोश के साथ इस एग्जाम में बैठेंगे। अनुपम कहते हैं कि अगर वह डीएम बने तो ठीक है, नहीं तो वह इसी रैंक पर काम करेंगे।