- ‘हम सरकार में आए तो आरे के कातिलों को बख्शेंगे नहीं..’ शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकर ने शनिवार को कहा था। लेकिन केंद्र और महाराष्ट्र दोनों जगह सरकार में साथी शिवसेना ने आरे कॉलोनी में पेड़ों की कटाई रोकने के लिए न तो केंद्र पर दबाव डाला और न ही महाराष्ट्र सरकार पर।
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी टिप्पणी की थी कि ‘जो सरकार इकोनॉमी नहीं संभाल सकती, उससे इकोलॉजी संभालने की उम्मीद कैसे करें.’, लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी आरे कॉलोनी में पेड़ों को काटे जाने पर रोक नहीं लगाई।
- आम नागरिक, छात्र-छात्राएं, पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर इन पेड़ों को काटे जाने से रोकने की कोशिश की, उन्हें महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की सरकार ने घसीट-घसीट कर (वीडियो इस बात के गवाह हैं) पुलिस की गाड़ियों में ठूंस दिया।
- बॉलीवुड का लगभग हर सेलेब्रिटी इस मामले में ट्वीटर पर टिप्पणियां करता रहा, लेकिन कोई भी उस तरह सामने नहीं आया, जिससे कि इन पेड़ों को बचाने का अभियान एक जनांदोलन बन जाता।
सुप्रीम कोर्ट में आरे मसले पर सुनवाई शुरू हो गई है। याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया है कि इस मसले पर कई याचिकाएं दाखिल हुई हैं, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्या हम सभी याचिकाएं सुनें या फिर किसी एक याचिका को सुने जिसमें सभी मुद्दे हों।
राजीव रंजन नामक सामाजिक कार्यकर्ता ने पेड़ों की कटाई के विरोध में प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को पत्र भेजा था। शीर्ष अदालत ने उस पत्र को ही जनहित याचिका के रूप में बदलते हुए उस पर सुनवाई करने का फैसला किया और उसी के आधार पर विशेष पीठ गठित की।
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर आपात सुनवाई को लेकर नोटिस पोस्ट किया गया है। इसमें कहा गया है कि पेड़ों की कटाई के संदर्भ में राजीव रंजन द्वारा छह अक्टूबर को भेजे गए पत्र के आधार पर गठित विशेष पीठ सात अक्टूबर को सुबह 10 बजे इस मामले पर सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए दायर चार याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने शनिवार को भी पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद आरे कॉलोनी में आधी रात में ही पेड़ों की कटाई शुरू हो गयी थी। पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे हैं।
इस बीच मुंबई की एक अदालत ने रविवार को पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे 29 प्रदर्शनकारियों को जमानत दे दी। प्रदर्शनकारियों को सार्वजनिक व्यवस्था में गड़बड़ी करने और सरकारी अधिकारियों को उनके कर्तव्यों का पालन करने में बाधा डालने के लिए गिरफ्तार किया गया था। डिंडोशी हॉलिडे कोर्ट ने 7 हजार रुपये के नकद बांड पर सशर्त जमानत दी है। कोर्ट ने कहा है कि उन्हें आगे की पूछताछ के लिए थाने जाना होगा। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आईपीसी की कई धाराएं लगाई हैं।