मध्य प्रदेश में हनीट्रैप कांड के खुलासे के बाद सियासी पारा चढ़ा हुआ है. कमलनाथ सरकार को इस कांड ने हिलाकर रख दिया है. बीजेपी भी इससे अछूती नहीं रही है. हम बता रहे हैं ऐसे तीन अलग-अलग मामले, जिनके तार आपस में जुड़े तो सामने आया देश का सबसे बड़ा सेक्स स्कैंडल, जिसमें नेता, अफसर, पत्रकार और एनजीओ लगभग हर वर्ग के लोग संलिप्त पाए गए.
दिखावे के लिए बनी आईटी कंपनी
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, इस स्कैंडल की शुरुआत तब हुई जब एमपी की साइबर सेल और एसटीएफ का एक सीनियर आईपीएस हनीट्रैप में पकड़ी गई आरती दयाल के साथ संपर्क में आया. ये करीब एक साल पहले की बात है. उस समय प्रदेश में चुनाव चल रहे थे. 26 जुलाई 2019 को आरती ने श्वेता विजय जैन के साथ मिलकर 10 लाख रुपये की पूंजी से एक टेक्नोलॉजी कंपनी शुरू की.
इस नई कंपनी की एक पुरानी कंपनी के साथ पार्टनरशिप कराई गई. पुरानी कंपनी बेंगलुरु बेस्ड थीं और साइबर तकनीक के क्षेत्र में काम करती थी. इस कंपनी का मालिक भी अब मामले की जांच कर रही एजेंसियों की रडार पर है.
आरती और श्वेता विजय जैन की कंपनी का काम तो था साइबर सिक्योरिटी, साइबर फॉरेंसिक और मोबाइल सिक्योरिटी लेकिन हकीकत में यहां कुछ और ही होना था. पुरानी कंपनी से पार्टनरशिप का नतीजा ये हुआ कि इन नई कंपनी का दखल भोपाल में भदभदा रोड पर स्थित साइबर मुख्यालय तक हो गया. इस कंपनी के जरिए नेताओं और अफसरों के फोन व चैटिंग पर नजर रखी जाने लगी. चैटिंग, एसएमएस के साथ कॉल रिकॉर्ड किए गए.
गाजियाबाद में लिया गया गेस्ट हाउस
अभी हाल ही में दिल्ली-एनसीआर के गाजियाबाद में साइबर सेल ने एक गेस्ट हाउस किराए पर लिया था. इस गेस्ट हाउस का किराया सरकारी पैसे से दिया जा रहा था. नियमानुसार, साइबर सेल के मुखिया को इसकी जानकारी सरकार और पुलिस विभाग के मुखिया को देनी थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इस बात पर विवाद उठने पर गेस्ट हाउस भी खाली करा लिया गया.
एसीएस आईएएस अधिकारी का वीडियो हुआ था वायरल
26 जुलाई को आईटी कंपनी रजिस्टर होने के बाद एक घटना ने मध्य प्रदेश की सियासत में हलचल मचाने वाली एक घटना घट गई. 26 जुलाई के बाद राज्य के एक अपर मुख्य सचिव (एसीएस) स्तर के आईएएस अधिकारी का वीडियो वायरल हो गया था. इसमें यह अधिकारी एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाई दे रहे थे. वीडियो वायरल होने के बाद शासन ने पूरे मामले की जानकारी ली और 29 जुलाई को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जांच के आदेश दे दिए दिए थे.
जैसे ही एसीएस का वीडियो वायरल हुआ तो सीएम कमलनाथ की जानकारी में इसकी जांच हुई. तब सरकार को पुलिस के आला अधिकारियों और ब्लैकमेलिंग गैंग के गठजोड़ के बारे में पता चला. फिर इस गठजोड़ पर निगाह रखी जाने लगी. इस गठजोड़ को पूरी तरह ध्वस्त करने की योजना बनने लगी.
उसके बाद इंदौर नगर निगम में सुपरिडेंट इंजीनियर हरभजन सिंह का मामला सामने आ गया. पहले से ही इस मामले पर निगाह जमाए हुए सरकार ने इस पूरे हनीट्रैप गैंग का खुलासा कर दिया.
इसके बाद हनीट्रैप गैंग की मेंबर्स से पूछताछ हुई तो उसमें जो खुलासे हुए, उससे सरकार भी हैरान रह गई. इसमें बीजेपी के नेताओं के साथ कांग्रेस के नेताओ के भी नाम निकल कर आए. देखने में तो यह तीनों मामले अलग लगते हैं लेकिन कहीं न कहीं इनके तार आपस में जुड़े हुए हैं. जिसमें एक सीनियर आईपीएस हनीट्रैप की कड़ी में गहरे तक जुड़ा हुआ नजर आ रहा है.
इस मामले को पूरा जानने के लिए देखें : MP हनी ट्रैप केस: BJP ने की CBI जांच की मांग, कांग्रेस ने साधा निशाना
कैसे हुआ था हनीट्रैप का खुलासा?
दरअसल 18 सितंबर को इंदौर पुलिस ने दो महिलाओं और उनके वाहन चालक को गिरफ्तार किया था. ये महिलाएं नगर निगम के इंजीनियर हरभजन सिंह का वीडियो बनाने के बाद उसे ब्लैकमेल कर उससे तीन करोड़ रुपये मांग कर रही थीं. मांगी गई रकम की पहली किश्त के तौर पर 50 लाख रुपये वे लेने आईं तो पकड़ी गईं.
उसके बाद कई नेताओं के तार इस कांड से जुड़ते चले गए. बाद में इस कांड से जुड़ी जो तस्वीर सामने आ रही है, वह चौंकाने वाली है. साथ ही इस बात का अहसास करा रही है कि राज्य में बीते कई वर्षो में करोड़ों के ठेके उन लोगों के हाथ लग गए, जिन्होंने महिलाओं का भरपूर इस्तेमाल किया.
इस मामले की जांच अब एसआईटी (विशेष जांच टीम) को सौंप दी गई है. इसके साथ ही सत्ताधारी दल कांग्रेस और विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं के नाम इस हनीट्रैप सेक्स कांड से जुड़ने लगे हैं. अभी तक किसी भी नेता पर पुलिस ने तो उंगली नहीं उठाई है, मगर गलियारों में चर्चा यही है कि हनीट्रैप सेक्स कांड की महिलाओं से नेताओं के रिश्ते रहे हैं.
क्या इससे कई नेता-अफसरों का करियर हो सकता है बर्बाद?
पुलिस के हाथ जो सुराग हाथ लगे हैं, वे इस बात का खुलासा करते हैं कि हनीट्रैप सेक्स कांड में सिर्फ पांच महिलाएं नहीं हैं, बल्कि उनके गिरोह के सदस्य छोटे जिलों तक फैले हुए हैं, जिनका समय-समय पर अपने तरह से उपयोग किया जाता था.
पहले संबंधित नेता अथवा अफसर को खुश करके ठेका या दूसरे काम मंजूर कराए जाते थे और जिससे यह काम नहीं हो पाता था उसे ब्लेकमैल करने की धमकी देकर रकम वसूली जाती थी. इतना ही नहीं बड़े अफसरों की पोस्टिंग में भी ये महिलाएं बड़ी भूमिका निभाती थीं.
सूत्रों का दावा है कि अगर जांच सही हुई और राजनीतिक दखल नहीं रहा, तो कई ऐसे नेताओं और अफसरों के चेहरे बेनकाब होंगे, जिनका अपने-अपने क्षेत्र में करियर अभी बहुत लंबा है और वे वर्तमान में भी प्रमुख पद पर हैं. जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, उनमें कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों से जुड़े नेता बड़ी संख्या में हैं, पुलिस के हाथ 100 से ज्यादा वीडियो और 200 से ज्यादा ऐसे फोन नंबर लग गए हैं, जो सियासी तूफान खड़ा कर सकते हैं.