रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम 1857 के भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं। उन्होंने सिर्फ़ 23 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से जद्दोजहद की और रणभूमि में वे वीरगति को प्राप्त हुईं।
रानी लक्ष्मीबाई किसी पहचान की मोेहताज नही है। दोस्तो भारत देश में जब भी महिलाओं की वीरता और शौर्य की बात होती है, तो सबसे पहला नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई का ही आता है। बता दे कि झांसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य को बचाने के लिए प्राण दे दिए, मगर अंग्रेज़ों के सामने नहीं झुकीं।रानी के बारे में कहा जाता है कि लक्ष्मीबाई को केवल एक ही अंग्रेज देख पाया था वो भी स्वंय रानी लक्ष्मीबाई की मर्जी से। जानकारी के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले जॉन लैंग वकील ब्रिटेन में रहते थे और वो ब्रिटेन की सरकार के खिलाफ कोर्ट में मुकदमें भी लड़ा करते थे। रानी लक्ष्मीबाई ने जॉन को अपना केस लड़ने के लिए नियुक्त किया था। रानी लक्ष्मीबाई को जब मेजर एलिस ने किला छोड़ने का फरमान सुनाया तो रानी किला छोड़कर दूसरे महल में रहने लगी। ऐसे में किला वापस पाने के लिए उन्होंने केस लड़ने का मन बनाया।
अंग्रेजों से बैर रखने वाले जॉन लैंग को सोने की पट्टी में पत्र लिखकर मिलने को बुलवाया। जॉन को केस लड़ने के लिए वीरांगना लक्ष्मीबाई से मिलने भारत आना पड़ा। जॉन ने अपनी भारत यात्रा पर एक किताब लिखी है जिसमें सारा विवरण दिया है। इसमें उन्होंने रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई की खूबसूरती और उनसे मिलने की घटना ज़िक्र किया है। जॉन की किताब का नाम है, ‘वांडरिंग्स इन इंडिया’। किताब के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई ने महल के ऊपरी कक्ष में जॉन लैंग को मिलने के लिए बुलवाया, हालांकि रानी और लैंग के बीच में एक पर्दा था। जिसमें से रानी की शक्ल बिल्कुल भी नहीं दिख रही थी। तभी अचानक रानी लक्ष्मीबाई के दत्तक पुत्र दामोदर राव ने पर्दा हटा दिया और लैंग ने रानी का चेहरा देख लिया। अपनी किताब में लैंग ने रानी की खूब तारीफ की है। लैंग ने रानी के चेहरे की बनावट को बेहतरीन बताया।