Home क्षेत्रीय खबरें / अन्य खबरें टेरर फंडिग पर कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना

टेरर फंडिग पर कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना

45
0

मध्य प्रदेश के सतना जिले में पिछले दिनों पाकिस्तान के लिए खुफिया जानकारी मुहैया कराने और टेरर फंडिग के मामले का खुलासा होने के बाद से कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमले कर रही है। इस मामले में गिरफ्तार एक संदिग्ध बजरंग दल का नेता है। दो साल पहले भी इसी तरह का एक गिरोह पकड़ा गया था, जिसमें भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) का एक पदाधिकारी शामिल था। सतना जिले में कुल पांच लोगों को टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। इनमें से तीन को गिरफ्तार कर आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने भोपाल लाया। तीनों आरोपी बलराम सिंह, सुनील सिंह और शुभम मिश्रा वर्तमान में पुलिस रिमांड पर हैं। इनसे पूछताछ चल रही है। बलराम का नाता बजरंग दल से बताया जा रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ‘आईएसआई पाकिस्तान के लिए ख़ुफियागिरी करते हुए भाजपा के नेताओं को एनएसए में गिरफ्तार कर सख्त सजा मिलनी चाहिए। धिक्कार है शिवराज तुम्हें, तुम्हारे चेले पाकिस्तान आईएसआई के एजेंट निकले, जिन्हें तुमने जमानत पर छुड़वाने में मदद की। देशद्रोही कौन है?’

वहीं राज्य सरकार के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने कहा, ‘भाजपा के कई लोग कई सालों से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। खुफिया जानकारी देते हैं और टेरर फंडिग कराते हैं।’

कांग्रेस के आरोपों के जवाब में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ. दीपक विजयवर्गीय ने कहा, ‘आतंकवाद से जुड़े मामलों पर कांग्रेस को राजनीति नहीं करनी चाहिए। जो भी मामले हुए हैं, वे कानून की जद में हैं। आरोपी की जमानत हुई है तो वह न्यायालय ने दी है।’

ज्ञात हो कि दो साल पहले सतना जिले में ही पाकिस्तान को खुफिया जानकारी पहुंचाने के आरोप में एक गिरोह पकड़ा गया था, जिसमें भारतीय जनता युवा मोर्चा का पदाधिकारी ध्रुव सेक्सना शामिल था। इस गिरोह में बलराम सिंह भी शामिल था। दो साल पहले पकड़े गए आरोपियों में से कुछ को जमानत मिल गई है। इसे राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गंभीरता से लिया है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फरवरी 2017 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद करने के आरोप में पकड़े गए आरोपियों की स्थिति रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने जानना चाहा है कि जमानत होने और जमानत होने के बाद जमानत निरस्त कराने के लिए अपील को लेकर उस समय की तत्कालीन सरकार ने क्या कदम उठाए। साथ ही जमानत पर रिहा आरोपियों की निगरानी की क्या व्यवस्था की गई। जमानत पर रिहा अन्य आरोपी वर्तमान में कहां हैं, क्या कर रहे हैं, उन पर निगरानी रखी गई या नहीं?