ऐसा कोइ भी पदार्थ जो शर्करा (कार्बोहाइड्रेट), वसा, जल तथा/अथवा प्रोटीन से बना हो और जीव जगत द्वारा ग्रहण किया जा सके, उसे भोजन कहते हैं। जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते हैं। भोजन में अनेक पोषक तत्व होते हैं जो शरीर का विकास करते हैं, उसे स्वस्थ रखते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं।
सुबह खाना पेट भर कर खा लेना चाहिए। फिर दोपहर को सुबह से थोड़ा कम भोजन करना चाहिए। फिर शाम को दोपहर से भी कम भोजन करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार हमें भोजन उस समय करना चाहिए जब हमारे पेट में जठर की अग्नि सबसे अधिक तेज होती है। जब सूर्योदय होता है, तो उसके 2:30 घंटे तक जठर की अग्नि सबसे तेज होती है। जैसे अगर सूर्य 7:00am पर उदय हो रहा है, तो 9:30am तक जठर की अग्नि सबसे अधिक तेज होती है। इस समय में हमें पेट भर कर भोजन कर लेना चाहिए। आपको जो कुछ भी खाने में सबसे अधिक पसंद है, वह सुबह-सुबह खा लेना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार अगर हम सुबह और शाम को ही भोजन करें तो सबसे अच्छा है। फिर भी यदि आप दोपहर को भोजन करते हैं, तो उसकी मात्रा सुबह के भोजन से कम होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त दोपहर के भोजन का समय भी निश्चित होना चाहिए। आप सुबह के भोजन के 4:30 घंटे के बाद कोई भी समय दोपहर के भोजन के लिए निश्चित कर सकते हैं।
आयुर्वेद में शाम के भोजन का समय सूर्यास्त से 40 मिनट पहले का बताया गया है। इस समय भी हमारे पेट में जठर की अग्नि बहुत तेज होती है। सूर्यास्त के बाद खाना खाने को आयुर्वेद में निषेध बताया गया है। आयुर्वेद में साफ तौर पर कहा गया है कि धरती का कोई भी प्राणी सूर्यास्त के बाद खाना नहीं खाता। इसीलिए वे सभी स्वस्थ रहते हैं। रात को सूर्यास्त के बाद दूध ले सकते हैं। रात को हमारे शरीर में कुछ खास तरह के एंजाइम बनते हैं, जो दूध को पचाने में सहायक होते हैं।