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बढ़ सकती है दिक्कत, मोतियाबिंद ऑपरेशन के बारे में न पालें ये भ्रम

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आमतौर पर यह मिथ प्रचलित है कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के लिए लोग जाड़े का इंतजार करते हैं। कभी-कभी दिक्कत ज्यादा होने पर भी लोग सिर्फ इसी भ्रांति में सर्जरी कराने से कतराते रहते हैं और तब तक दिक्कत और बढ़ जाती है। हिंदुस्तान के कई इलाके ऐसे हैं, जहां 12 महीने गर्मी पड़ती है। अब सोचिए, वहां तो जाड़ा पड़ता नहीं। यदि जाड़े का इंतजार करते रहे तो मोतियाबिंद का इलाज ही नहीं होगा।

जानिए इस बारे में क्या कह रहे हैं रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल राजाजीपुरम के वरिष्ठ परामर्शदाता व नेत्र सर्जन डॉ. संजय कुमार विश्नोई। दरअसल पहले आंखों के ऑपरेशन के लिए सुविधाएं कम हुआ करती थीं। कैंप ही लगते थे और शिविरों में ही सर्जरी हुआ करती थी। जाहिर सी बात है कि कैंप सिर्फ जाड़ों में लगते थे, गर्मी या बरसात में शिविर लगाना असुविधाजनक होता था। बस लोगों ने मन में ये भ्रम पाल लिया कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन सर्दियों में कराना चाहिए। अब सुविधाएं बढ़ गई हैं, अब सर्जरी कहीं ज्यादा आसान हो गई है। जरूरत मरीजों की काउंसलिंग करने की है।

हमेशा अपनी आंखों की जांच खुद भी करते रहने चाहिए। एक आंख को बंद करें और देखें की खुली आंख से दिख रहा है या नहीं। इसी तरह दूसरी आंखों का भी परीक्षण करें। मोतियाबिंद आंखों का एक सामान्य रोग है। इस दौरान आंखों का लैंस समय के साथ अपनी पारदर्शिता खोने लगता है। जिस तरह से उम्र बढ़ने के साथ-साथ बाल सफेद होने लगते हैं ठीक उसी तरह आंखों के लैंस के साथ होती है। बढ़ती उम्र और सफेद होते बालों को रोका नहीं जा सकता, उसी तरह मोतियाबिंद होने से नहीं रोका जा सकता है।

हां, संतुलित आहार, व्यायाम से हम अपनी बढ़ती उम्र के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं और ऐसा करने से मोतियाबिंद का असर भी कम होगा। कहते हैं कि जिस उम्र में बाल सफेद होते हैं, उसी उम्र में मोतियाबिंद हो जाता है। आंखों के लैंस प्रोटीन के बने होते हैं। डायबिटीज, उम्र के प्रभाव, स्मोकिंग, इंजरी और स्टेरॉयड लेने से लैंसों को नुकसान पहुंचता है। 

फैंसी दवाओं से बचें 
मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी ही है। उम्र के साथ कमजोर होती नजर को ठीक करने के लिए तमाम तरह की फैंसी दवाएं बाजार में हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल घातक होगा। नेत्रों की ज्योति बढ़ाने की कोई भी दवा कारगर नहीं होती। महज यह झूठा प्रचार-प्रसार होता है। इसलिए समय के साथ-साथ चिकित्सक की सलाह लें और उसके कहे अनुसार ऑपरेशन कराएं। सर्जरी से घबराने की जरूरत नहीं क्योंकि अब तो मोतियाबिंद का ऑपरेशन एक ही दिन में हो जाता और अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।