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पिता ने भारत सरकार से की ये दरख्वास्त चार पीढ़ी से देश सेवा को समर्पित शहीद संदीप का परिवार,

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लांसनायक संदीप थापा की शहादत की खबर मिलते ही पिता हवलदार(सेवानिवृत्त) भगवान सिंह की आंखे भी नम हो गईं। उनका गला भर आया। बावजूद उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व था। भगवान सिंह का कहना है कि उनके बेटे ने भारत माता की सेवा में अपने प्राण न्योछावर किए हैं। फौज में भेजने के साथ ही उन्होंने अपने दोनों बेटों को भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया था। कहा कि उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है कि वह देश के काम आया।

पाकिस्तान की कायरतापूर्ण हरकत पर उनकी आंखें गुुस्से से भर आई। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को पाकिस्तान की हरकत का मुंह तोड़ जवाब देना चाहिए। हर बार पाकिस्तान सीजफायर उल्लंघन कर भारतीय सैनिकों के मनोबल को तोड़ना चाहता है। कब तक भारतीय परिवार अपने घरों के बेटों को ऐसी कायरतापूर्ण हरकतों में खोते रहेंगे? भारत सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। जिससे वह कभी भी भारत की ओर आंख उठा कर नहीं देख सके।

लांसनायक संदीप का परिवार चार पीढ़ियों से देश की सेवा कर रहा है। संदीप के परदादा भी भारतीय सेना में थे। जिसके बाद उनके दादा लक्ष्मण सिंह भी सेना में बतौर सूबेदार अपनी सेवाएं दी। पिता भगवान सिंह भी सेना में हवलदार के पद पर तैनात रहें। वहीं, अब लासंनायक संदीप के साथ ही उनके भाई नवीन थापा भी सेना में सैनिक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

लांसनायक संदीप थापा के भाई नवीन थापा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें अपने भाई की शहादत की खबर माता-पिता को देनी पड़ेगी। नवीन भी संदीप के साथ गोरखा राइफल में राजौरी सेक्टर के नौशेरा में तैनात थे। शनिवार की सुबह दोनों ही नोशेरा में पाकिस्तान की ओर से की गई कार्रवाई का जवाब दे रहे थे। तभी संदीप सिंह गोलाबारी में घायल हो गए। जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए सेना अस्पताल ले जाया गया। जहां उपचार के दौरान वह शहीद हो गए।

सेना के उच्चाधिकारियों ने यह खबर नवीन को दी तो वह फफक पड़े। इस बीच परिजनों को कहीं से खबर मिली कि राजौरी सेक्टर के नौशेरा में शहीद हुआ जवान और कोई नहीं लांसनायक संदीप है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पा रही थी। जिसके बाद संदीप के पिता भगवान सिंह संदीप की रेंजीमेंट में तैनात और उन्हीं के गांव में रहने वाले एक जवान के घर पर गए। जो इन दिनों छुट्टी पर घर आया हुआ था।

इसी जवान ने उनकी बात फोन पर रेंजीमेंट में तैनात संदीप के छोटे भाई नवीन से कराई। जिस पर नवीन ने रुंधे हुए गले से भाई संदीप के शहीद होने की खबर अपने पिता को दी। जिसे सुन पिता भगवान सिंह एक बार के लिए स्तब्ध रह गए। उन्होंने किसी तरह अपने को संभाला और घर पहुंच घटना की जानकारी पत्नी और बेटी को दी। कुछ ही देर में यह खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई।