भांग में मौजूद कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम होते हैं. यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं
भांग का नाम सुनते ही हमारे ज़हन में भगवान शंकर तो वहीं मस्तिष्क में एक नशे में झूमते हुए मस्त मौले इंसान की छवि उभरती है. भांग हमारे समाज में हमेशा एक नशीले पदार्थ के रूप में ही देखी और इस्तेमाल की गई. बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि भांग का इस्तेमाल दवा के रूप में भी किया जाता है. इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया की क़रीब 2.5 फ़ीसदी आबादी यानी 14.7 करोड़ लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. दुनिया में इसका इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है क्योंकि यह सस्ता मिल जाता है और ज़्यादा नशीला होता है. आइये अब जानते हैं भांग के कुछ बड़े फायदों के बारे में
चक्कर से बचाव
गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं.
ग्लूकोमा में राहत भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है. इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़े नसों को दबाने लगता है. इससे नजर की समस्या आती है. गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है.
कैंसर पर असर
कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम होते हैं. यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं. कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है.2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है.
अल्जाइमर के खिलाफ
भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है. एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है.
हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम
थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं. भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके. माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया.