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अगर पाकिस्तान ने हम पर परमाणु हमला कर दिया तो क्या होगा..

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कुछ समय पहले मैं टीवी देख रहा था.पंजाब के सीमावर्ती गांव के एक सज्जन, जो टीवी पर दिख रहे थे, उनका कहना था कि पाकिस्तान पर हमला कर दो, हम अपनी छोटी-मोटी दिक्कतें भूलने को तैयार हैं. बस एक बार उन्हें मजा चखा दो.

भारत में एक धड़ा जोर-शोर से ये आवाज उठा रहा है कि ‘वो जंग चाहते हैं तो जंग सही’. पाकिस्तान के ट्विटर ट्रेंड देखिए तो वहां भी जंगपसंदों के झुंड नारे लगारहे हैं. लेकिन ये 1919 या1939 का समय नहीं है. क्या ये लोग इस बात से वाकिफ हैंकि इस वक्त दो परमाणु हथियार संपन्न देशों में जंग क्या कयामत ला सकती है?

हमने 20 जवान खोए. फिररिस्क लेकर जवाब दिया. अच्छी प्लानिंग. अच्छा एग्जिक्यूशन. सबको बधाई. लेकिन अबदम साधिए और थम जाइए. इसके आगे युद्ध का माहौल मत बनाइए.70 सालों में 5 जंग हम लड़ चुके हैं. सारी समस्याएं बरकरार हैं. एक सर्वे के मुताबिक, मौजूदा वक्त में जंग हो तो हर दिन 200 जवान इसकी भेंट चढ़ेंगे और 500 करोड़ का खर्च आएगा. बल्कि अब तो दोनों तरफ से परमाणु बमों की धमकियां भी तैर रही हैं. हम भी सीना फुलाकर कह रहे हैं, तो हो जाने तो वॉर!

जोश में आप कह सकते हैं कि हमारी सेना पाकिस्तान को आराम से हरा देगी. इसकी संभावना भी ज्यादा है. लेकिन जब पाकिस्तान हार के कगार पर होगा तो क्या गारंटी है कि वो अपना आखिरी अस्त्र नहीं आजमाएगा? वो भी ऐसा देश जहां लोकतंत्र अब तक अस्थिर है, जहां पहली बार हुआ है कि लगातार दूसरी लोकतांत्रिक सरकार चुनी गई हो और जहां सेना सरकार से बड़ी हैसियत रखती हो, वो मिलिट्री वॉर में आसानी से हार स्वीकार लेगा?

हार की खीझ में एक बर्बाद होता एक देश परमाणु हथियार का इस्तेमाल कर बैठा तो? ये फैसला जब भी लिया जाएगा, इंसान के दिमाग की ही उपज होगा. और हारते हुएइंसान के दिमाग पर हताशा सवार होती है. वो कुछ भी कर सकता है.

आप कह सकते हैं कि फिर हम भी न्यूक्लियर बम मारेंगे. लेकिन क्या ये बच्चों का खेल है?

परमाणु बम का इस्तेमाल हुआ तो क्या होगा?

जो नहीं जानते, वे जान लें. परमाणु बमों के बारे में एक्युरेट जानकारी किसी के पास नहीं है. ये खुफिया चीजें होती हैं. लेकिन बहुत सारी एकेडमिक और युद्धविरोधी संस्थाएं इन विषयों पर रिसर्च करती रहती हैं.

– भारत और पाकिस्तान का हर न्यूक्लियर बम करीब 15 किलोटन का है. ऐसा ही एक बम अमेरिका ने हिरोशिमा में गिराया था, जिसका असर बरसों तक रहा.

-अगर किसी युद्ध में दोनों तरफ से मिलाकर 100 बम इस्तेमाल कर दिए जाएं तो कम से कम 2.1 करोड़ लोग मारे जाएंगे.

– ऐसे 100 न्यूक्लियर बम का इस्तेमाल धरती की आधी ओजोन लेयर को खत्म कर देगा. जिसके बाद पूरी दुनिया ऐसी बीमारियों की चपेट में आएगी, जिनकेबारे में हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते.

-पूरा एशियाकाले धुएं के आगोश में समा जाएगा. ये धुआं कई सालों तक स्ट्रेटोस्फेयर में रहेगा और सूरज की रौशनीठीक से धरती पर नहीं पहुंच पाएगी.

– पूरी दुनिया एक ‘परमाणु शीत (न्यूक्लियर विंटर)’ के चपेट में आ जाएगी. मॉनसून और खेती का चक्र तबाह हो जाएगा. बचे हुए लोगों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.

ये सारे अनुमान 2007 में तीन अमेरिकी यूनिवर्सिटीज के शोधकर्ताओं ने दिए हैं. ये यूनिवर्सिटीज हैं, रटगर्स यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो-बोल्डर और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया.

इसे अबसुब्रमण्यम स्वामी और ख्वाजा मुहम्मद आसिफ के बयानों के आलोक में याद कीजिए. किसी भी न्यूक्लियर वॉर की कीमत लोगों की मौत से कहीं ज्यादा होगी.

एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान के पास 2015 तक 110 से 130 न्यूक्लियर बम थे. 2011 में ये संख्या 90 से 110 मानी जाती थी. ये आंकड़े ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ की एक रिपोर्ट में लिखे गए हैं. भारत के पास 110 से 120 न्यूक्लियर बम हैं.

बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के 66 परसेंट न्यूक्लियर बम बैलिस्टिक मिसाइल में लगाकर रखे गए हैं. भारत को ध्यान में रखकर ही पाकिस्तान ने ‘हत्फ’ नाम की बैलिस्टिक मिसाइल सीरीज डेवलप की है, और कर रहा है.

आप सोचिए कि इस दौर में युद्ध की कोई सीमा होगी? क्यादो परमाणु बम-संपन्न पड़ोसी देश युद्ध का खतरा उठा सकते हैं?

सर्जिकल स्ट्राइक से आगे बढ़ने का शोर मत मचाइए.जंग तो ख़ुद ही एक मसला है सर, जंग क्या मसलों का हल देगी!