छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक सत्ता का वनवास भोगने वाली कांग्रेस पार्टी साल 2018 के अंत में जैसे ही सत्तासीन हुई निगम-मंडल में नियुक्ति को लेकर नेता और कार्यकर्ताओं में उम्मीद जाग गई थी. लेकिन विधानसभा के ठीक बाद लोकसभा चुनाव के चलते निगम-मंडलों में नियुक्तियों को टाला दिया गया. बताया जा रहा है कि अब कांग्रेस की सरकार बनने के करीब सात महीने बाद कांग्रेस ने निगम मंडल में नियुक्तियां तय कर दी है, जिसकी औपचारिक घोषणा भी जल्द कर दी जाएगी. जानकारी के मुताबिक पहली सूची में प्रदेशभर के 23 नामों को शामिल किया गया है. इस पहली सूची में प्रदेश के पांचों संभाग के नेताओं का नाम शामिल किया गया है.
- रामगोपाल अग्रवाल- अध्यक्ष- खनिज विकास निगम
- डॉ किरणमयी नायक – अध्यक्ष – नागरिक आपूर्ति निगम
- शैलेष नितिन त्रिवेदी- अध्यक्ष- गृह निर्माण मंडल
- मलकीत सिंह गेंदू – अध्यक्ष – पर्यटन मंडल
- एजाज ढ़ेबर- उपाध्यक्ष- पर्यटन मंडल
- जितेंद्र मुदलियार – उपाध्यक्ष – पर्यटन मंडल
- फूलोदेवी नेताम- अध्यक्ष- महिला आयोग
- पंकज शर्मा – अध्यक्ष – मंडी बोर्ड
- भवानी शंकर शुक्ल- अध्यक्ष- युवा आयोग
- सुरेंद्र शर्मा – अध्यक्ष – बीज निगम
- आरपी सिंह- अध्यक्ष- पाठ्य पुस्तक निगम
- विकास तिवारी – अध्यक्ष – भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मंडल
- 13.अटल श्रीवास्तव- अध्यक्ष- सीएसआईडीसी
- अजय अग्रवाल – अध्यक्ष – वन विकास निगम
- जतीन जायसवाल- उपाध्यक्ष- वन विकास निगम
- अमरजीत छाबड़ा – उपाध्यक्ष – वन विकास निगम
- सफी अहमद- अध्यक्ष- ऊर्दू अकादमी
- नरेश डाकलिया – अध्यक्ष – मार्कफेड
- महेंद्र छाबड़ा- अध्यक्ष- राज्य भंडार गृह निगम
- हर्षद मेहता – अध्यक्ष – वेबरेज कॉर्पोरेशन
- दीपक दुबे (रायपुर)- अध्यक्ष- रायपुर विकास प्राधिकरण
- विभा साहू – अध्यक्ष – समाज कल्याण बोर्ड
- कविता साहू- अध्यक्ष- निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम
राजनीतिक बयानबाजी भी जोरों पर:
कांग्रेस में गुटबाजी की खबरें आती रही है, मगर निगम-मंडल नियुक्ति की सूची से ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि पार्टी आला कमान ने नेताओं के बीच संतुलन साधने की पूरी कोशिश की है. इस पूरे मामले में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि कांग्रेस आला कमान और मुख्यमंत्री जो भी फैसला लेंगे पार्टी कार्यकर्ताओं को मंजूर होगा. देरी वाली कोई स्थिति नहीं है. जो भी फैसला होगा वो स्वीकार किया जाएगा. वहीं बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि आंतरिक गुटबाजी कांग्रेस में बढ़ा है. ऐसी स्थिति में निगम-मंडलों में नियुक्ति कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगी. वहीं राजनीतिक विश्लेषक रविकांत कौशिक का मानन है कि सभी को खुश करना पार्टी के लिए एक चुनौती हो सकती है.