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धनिया से धनवान हुए महादेव, पचास हजार लगाकर कमा लिए लाखों

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“महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश के किसान धनिया की खेती से मालमाल हो रहे हैं। उस्मानाबाद (महाराष्ट्र) के गांव महालंगी के किसान महादेव गोपाल ढवले ने तो अपने तीन एकड़ खेत में पचास हजार की लागत से धनिया की खेती कर इस बार मंडी से साढ़े पांच लाख रुपए की कमाई कर ली है।”

हर साल औसतन तीन टन उत्पादन के साथ भारत विश्व में धनिया का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। हमारे देश में धनिया की खेती सबसे ज्यादा पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, बिहार, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में होती है। इसकी पैदावार एक बीघे में 30 क्विंटल तक हो जाती है। मार्च में जब खेत खाली होते हैं, किसान उसी मौके का फायदा उठाकर इसकी खेती से मालामाल होने लगे हैं। महज एक महीने में इससे प्रति बीघा लगभग एक लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। बारिश कम होने से सिंचाई के लिए पानी के संकट से परेशान उस्मानाबाद (महाराष्ट्र) के गांव महालंगी के किसान महादेव गोपाल ढवले ने कुछ महीने पहले इस सीजन में पचास हजार की लागत से अपने तीन एकड़ खेत में धनिया की बुवाई कर दी थी।

उस्मानाबाद क्षेत्र में ज्यादातर अन्य किसानों की तरह महादेव भी इससे पहले मूंग, सोयाबिन, उड़द, कपास जैसे खेती करते रहे हैं। दरअसल, धनिया की खेती उन इलाकों के लिए मुफीद साबित हो रही है, जहां अवर्षण के कारण सिंचाई के लिए पानी एक बड़ी समस्या है। धनिया कम ही दिनों में तैयार हो जाती है, इसलिए इसकी खेती में सूखा पीड़ित क्षेत्रों के किसान अब ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे हैं। इस बार जब तैयार होकर धनिया की फसल बाजार पहुंची तो महादेव को कुल बिक्री से साढ़े पांच लाख रुपए मिल गए। अब उनकी कमाई की पूरे इलाके में चर्चा है। 

महादेव की तरह ही शिवपुरी (म.प्र.) के गांव समसपुर के किसान जगन्नाथ धाकड़ ने भी धनिया खेती से साढ़े चार लाख रुपए कमा लिए हैं। इस समय उनके खेतों का धनिया श्योपुर से लेकर ग्वालियर तक मंडियों में महक रहा है। इस बार यहां की मंडियों में धनिया सौ रुपए किलो तक बिक रहा है। अब जगन्नाथ धाकड़ की देखादेखी आसपास के दर्जनों किसानों अतर सिंह धाकड़, दौलत सिंह धाकड़, बुद्धू धाकड़, बाबू धाकड़ आदि का भी रुझान धनिया की खेती में रमने लगा है। जगन्नाथ तो पिछले कई वर्षों से धनिया की खेती से खूब मुनाफा कमा रहे हैं।

जगन्नाथ की तरह ही फतेहपुर (उ.प्र.) के किसान अमित पटेल पिछले कई वर्षों से धनिया की खेती कर रहे हैं। वह दिन में सिर्फ दो घंटे की मेहनत करके हरी धनिया बेचकर हर महीने 15 से 20 हजार रुपए की कमाई कर लेते हैं। इस तरह उनको अपने मात्र डेढ़ बीघे खेत में धनिया की खेती से सालाना दो लाख रुपए से अधिक की कमाई हो जाती है।

इसी तरह पंजाब में बिहार-उत्तर प्रदेश के चार-पांच लाख प्रवासी मजदूर सब्जियों की खेती से ऊंची कमाई कर रहे हैं। सीतामढ़ी (बिहार) के मदन शाह बताते हैं कि उन्होंने पंजाब के स्थानीय किसान से पचास हजार रुपए के सालाना किराए पर पंद्रह एकड़ जमीन लेकर उसमें धनिया के साथ ही अन्य सब्जियों की भी फसल रोप दी। तैयार फसल वह लुधियाना की मंडियों में बेचने लगे। उससे उन्हे प्रति एकड़ पचीस हजार रुपए से अधिक की कमाई हुई है। इससे पहले वह प्रति एकड़ एक लाख रुपए तक कमा चुके हैं। वह बताते हैं कि धनिया की फसल जल्दी तैयारा हो जाने से समय पर नकदी मिल जाती है, जिससे वह अपनी लाखों की बचत के भरोसे ही बाकी तरह की सब्जियों से भी भरपूर मुनाफा पा ले रहे हैं।

अलीगढ़ (उ.प्र.) का गांव चेंडोला सुजानपुर भी धनिया की खेती के लिए मशहूर हो रहा है। यहां का धनिया तो दिल्ली-कश्मीर तक की मंडियों में महक रहा है। लगभग साढ़े पांच हजार की आबादी वाले इस गांव के अस्सी फीसदी किसान सिर्फ धनिया की खेती कर रहे हैं। हां, राजस्थान में जरूर इस बार धनिया की खेती घाटे का सौदा रही क्योंकि मौसम की मार से झालावाड़ इलाके में इसकी पूरी खेती बर्बाद हो गई।