छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने दलित राजनीति में दोहरी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत सदस्यता अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी शिवराज सिंह चौहान को दलित बस्ती में ले जाकर वहां लोगों को सदस्य बनाने की तैयारी चल रही है. वहीं दूसरी तरफ परंपरागत बीजेपी के समर्थक दलित मतदाताओं की गोलबंदी की जा रही है. सूबे में आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में बीजेपी ने दलित वोटों के लिए बस्तियों का नया एजेंडा तैयार किया है. पिछले विधानसभा और लोकसभा के नतीजों से ये साफ हो गया है कि अब बीजेपी की कांग्रेस से सीधी टक्कर गलियों और गांवों में रहने वाले दलित मतदाताओं के लिए होगी. दलित वोट को इस बार अपनी तरफ खींचने के लिए बीजेपी ने विशेष रणनीति के तहत शिवराज सिंह चौहान के छत्तीसगढ़ दौरे के कार्यक्रम में दलित बस्तियों में जाकर वहां लोगों के साथ जलपान करने और उन्हे सदस्यता दिलाने का कार्यक्रम तय किया गया है. सदस्यता अभियान प्रदेश प्रभारी संतोष पाण्डेय का कहना है कि 18 जुलाई को सदस्यता अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी शिवराज सिंह रायपुर आएंगे और दलित बस्ती में सदस्यता आंदोलन में शामिल होंगे
कांग्रेस ने कही ये बात सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने और प्रदेश में बीजेपी सरकार के समय दलितों का आरक्षण 2 फीसदी कम करने के बाद ये माना जा रहा था कि दलित वोटर्स बीजेपी से दूर हो रहे है. ऐसे में सदस्यता अभियान के जरिए दलितों के करीब जाने की कोशिश की बीजेपी कर सकती है.
दलित बस्तियों में जाकर लोगों को बीजेपी के साथ जोड़ने के इस अभियान को कांग्रेस ने महज दिखावा बताया है. कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि विधानसभा में जितने बीजेपी के सदस्य थे उतना वोट भी उन्हे नहीं मिला. इस बात की समीक्षा बीजेपी को करनी चाहिए.