रेलवे स्टेशन में फेरी करने वाले अवैध वेंडरों को आरपीएफ ने पकड़कर रेलवे एक्ट के तहत कार्रवाई की है। पकड़ाए वेंडरों के लिए कमसम संचालक ने लाइसेंस ले रखा है। मगर वेंडरों की पहचान के तौर पर उनके पास कोई दस्तावेज नहीं मिले। जिनके कारण उनपर कार्रवाई की गई है।
रेलवे स्टेशन में फेरी करने को रेलवे ने वैध कर दिया है। 50 हजार रुपए सालाना पटाकर कैटरिंग स्टाल वाले फेरी करवा सकते हैं। सालों से अवैध चल रहे फेरी की प्रथा को रेलवे ने वैध तो कर दिया है। मगर उनके लिए जो नियम लागू किए है, उनका पालन नहीं स्टेशन में नहीं हो रहा था। सोमवार को आरपीएफ ने कमसम के 7 वेंडरों को पकड़ा। वेंडरों के पास आई कार्ड, यूनिफार्म और उनके बैच कुछ भी नहीं थे। जबकि नियमत: ये सभी फेरी के लिए संचालक को उपलब्ध कराने है। स्टेशन में फेरी शुरू हुए लगभग 6 महीने हो चुके हैं। मगर अभी तक अधिकतर वेंडरों के पास आईकार्ड जारी नहीं हुआ है। हालात यह है कि स्थानीय अधिकारियों को इस बात की जानकारी तक नहीं है कि स्टेशन में कितने वेंडर काम करते हैं और कितनों को आईकार्ड जारी किया गया है। ऐसे में कौन वैध है और कौन अवैध इसकी पहचान नहीं हो पा रही है। आरपीएफ ने कार्रवाई के बाद वेंडरों के लिए आईकार्ड और अन्य दस्तावेज बनवाकर जमा करने को निर्देशित किया है। वेंडरों पर रेलवे एक्ट 144 के तहत कार्रवाई की गई है।
यात्रियों को मिलने वाले खाद्य सामग्री की गुणवत्ता भगवान भरोसे- यात्रियों को मिलने वाले खाद्य सामग्री के गुणवत्ता की जिम्मेदारी किसकी होगी। यह तय नहीं है। श्रम, आय, खाद्य सुरक्षा कानून का पालन करने पर ही टेंडर के लिए परमिशन दिया जाता है। मगर इन तीनों में से किसी भी नियम का पालन नहीं हो रहा है। कैटरिंग संचालक और बाकी अन्य सभी धड़ल्ले से स्टेशन में फेरी कर रहे है। स्टेशन में रेल नीर बेचने की ही अनुमति है। मगर पकड़ाए वेंडरों के पास ही जो पानी की बॉटल मिले वे दूसरे ब्रांड के थे।
आरपीएफ थाने में बैठाए गए कमसम के वेंडर।
तय संख्या से ज्यादा वेंडर रख रहे संचालक. रेलवे ने लाइसेंस के साथ कैटरिंग संचालक के लिए संख्या भी निर्धारित कर दी है। अभी फिलहाल कमसम ने 6 वेंडरों का लाइसेंस लिया है। मगर फेरी करने वाले वेंडर उससे कहीं ज्यादा होते है। आज भी कार्रवाई के दौरान केवल कमसम के 7 वेंडरों पकड़ाए। इसके अलावा भी वह शिफ्ट के हिसाब से वेंडरों की संख्या बढ़ाते रहता है।