छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में हुए जमीन घोटाले की जांच के निर्देश सरकार ने दे दिए हैं. बताया जा रहा है कि ओपी चौधरी जब दंतेवाड़ा के कलेक्टर थे, उसी दौरान ये घोटाला हुआ था. राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच के लिए वन विभाग के अपर सचिव सीके खेतान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग का गठन किया है.
मिली जानकारी के मुताबिक जांच तीन बिंदुओं पर की जाएगी फिर रिपोर्ट पेश किया जाएगा. बताया जा रहा है कि जांच आयोग तीन महीने के अंदर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट पेश कर सकता है. सामान्य प्रशासन विभाग ने इसे लेकर एक अधिसूचना भी जारी की है. बताया जा रहा है कि दंतेवाड़ा के तत्कालीन कलेक्टर और तहसीलदार के खिलाफ जांच की जाएगी. दंतेवाड़ा जिले में राजस्व की जमीन की अदला-बदली के संबंध में जांच होगी.
जांच के आदेश के बाद राजनीति भी शुरू
रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी के खिलाफ जांच आयोग गठित होने के बाद अब इस मुद्दे पर जमकर राजनीति भी हो रही है. भाजपा जहां इसे बदालपुर की राजनीति कह रही है तो वहीं कांग्रेस इस जांच को सही करार दे रही है. इस पूरे मामले में भाजपा प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि ओपी चौधरी ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है जिसके कारण उनके खिलाफ जांच की जा रही है. ये सरकार विरोध सहन नहीं कर पा रही है और बदलापुर की राजनीति कर रही.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि ओपी चौधरी भाजपा के नेता हैं और मीडिया में सुर्खियां बटोरने पत्र लिखा करते हैं. इनके द्वारा जो घोटाले किये गए हैं, अब उनकी जांच हो रही है. आदिवासियों की जमीन के बंदरबांट के साथ ही डीएमएफ फण्ड में भी गड़बड़ी की गई है. जनता के पैसों पर डकैती डालने का काम पिछ्ली सरकार में हुआ है.
ये है पूरा मामला
ये पूरा मामला 2011 से 2013 के बीच का है. बताया जा रहा है कि जिला पंचायत भवन के पास एक किसान की कृषि भूमि को चार लोगों ने खरीद लिया था. 2013 में पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार और एसडीएम ने मिलकर केवल 15 दिन के अंदर इन लोगों को निजी जमीन के बदले सरकारी जमीन देने की प्रक्रिया पूरी कर ली. मिली जानकारी के मुताबिक इस जमीन को विकास भवन के नाम पर लेकर बस स्टैंड के पास व्यवसायिक जमीन से इसकी अदला-बदली कर दी गई थी.