चुनाव खत्म होने के बाद नरवा प्रोजेक्ट में तेजी लाने के लिए प्रशासन ने रणनीति तैयार कर ली है। सभी जिलों के कलेक्टरों को कमिश्नर ने निर्देश दिए हैं कि इसके लिए जलाशयों से पानी छोड़ने की प्लानिंग बनाई जाए। नरवा प्रोजेक्ट के तहत धमतरी जिले के गंगरेल बांध और बालोद के तांदुला, गोंदली और खरखरा जलाशयों का पानी लिफ्ट कर जिले के नदी-नालों के प्रवाह को साल भर बनाया रखा जा सकता है।
–जल संकट रोकने बनेगी योजना
नदी-नालों में जल का प्रवाह थमने से जल संकट गहरा रहा है, जो भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। यदि समय रहते इस ओर समुचित व कारगर उपाय व प्रयास नहीं किए गए तो बहुत दिक्कत होगी। जिस तरह तालाब, जलाशय, नदी, ट्यूवेल आदि के पानी का अंधाधुन दोहन किया जा रहा है वह कतई उचित नहीं है। उपरोक्त साधनों के जल का गर्मी में धान की फसल के लिए उपयोग करना किसी स्थिति में अच्छी बात नहीं है, अब तो फसल प्रतिरूप परिवर्तन समय की मांग है, इस पर हर जिले में समग्र प्रयास किए जाने चाहिए। जल बचाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
—जीआर राना की परिकल्पना पर होगा काम
अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष जीआर राना ने अपने पुराने अनुभव के आधार पर एक परिकल्पना प्रस्तुत की है। इस दिशा में कारगर कदम उठाए जा सकते है। उन्होंने बताया कि गंगरेल बांध के पानी को राजाराव पठार के आसपास (ओनाकोना ग्राम) से लिफ्ट कर पाइप लाइन के माध्यम से कंकालीन (बड़भूम गांव), जो खारुन नदी का उद्गम स्थल है, लाया जा सकता है।
–खारुन नदी को दिया जा सकता है नया जीवन
खारुन नदी में लगभग 12 स्थानों पर स्टाप डेम बनाकर नरवा प्रोजेक्ट को सफल करने के साथ उस क्षेत्र के गांवों को समृद्ध बनाया जा सकता है। इसी तरह तादुंला जलाशय के जल का उपयोग बालोद जिले के बड़भूम, सियादेही क्षेत्र के गांव गुरूर ब्लाक के अरकार गांव तक किया जा सकता है। इससे महानदी, गंगरेल और खारुन व तांदुला को आपस में जोड़ा जा सकता है
वर्जन–
जलाशयों के जल संचयन के लिए प्लानिंग बनाई जाएगी। नरवा प्रोजेक्ट के लिए जलाशयों से पानी छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं। -जीआर चुरेंद्र, कमिश्नर