मध्यस्थता पैनल के गठन को दो महीने का वक्त पूरा हो गया है और उसने अपनी अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सुनवाई होगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर की पीठ मामला सुनेगी. शीर्ष अदालत द्वारा 8 मार्च को गठित मध्यस्थता पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंप दी है.
रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला के नेतृत्व में मध्यस्थता पैनल बनाया गया था. इस पैनल में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू भी शामिल थे. इनको जिम्मा सौंपा गया था कि वे राजनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मामले का आपसी बातचीत के जरिए कोई समाधान निकालने की संभावना तलाशें. मध्यस्थता को पूरी तरह गोपनीय रखे जाने के आदेश दिए गए थे और पूरे कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग के भी निर्देश दिए गए थे. पैनल को 8 हफ्ते का समय दिया गया था और 4 हफ्ते में प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी गई थी.
दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया था. एक हिस्सा रामलला विराजमान, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड को मिलना था. इसी फैसले के खिलाफ सभी पक्षकार सुप्रीम कोर्ट गए थे. शीर्ष अदालत के आदेशानुसार, विवादित जमीन पर यथास्थिति बरकरार है.