जयपुर। दुनिया के महासागरों में से एक हिन्द महासागर जहां पर दुनिया का सबसे ज्याद प्लास्टिक अवशेष पाया जाता है। पर यह अवशेष कहां जाता है यह बस एक रहस्य बना रहा है। हाल ही में ‘वेस्टर्न आॅस्ट्रेलिया’ विश्वविद्यालय (यूडब्ल्यूए) के शोधकर्ताओं के द्वारा एक शोध किया गया
जिसमें प्लास्टिक के अवशेष को मापन व उसे ट्रैक करने के लिए कि आख्रिर यह कहां जाता है पर एक संक्षिप्त अध्ययन किया गया।इस शोध के माध्यम से उनकों ज्ञात हुआ कि दक्षिण हिन्द महासागर का प्लास्टिक बहकर पश्चिम में जहां अटलांटिक महासागर है कि ओर बहकर चला जाता है।
यूडब्ल्यूए की एक छात्रा मिरिजाम वैन डेर महीन ने शोध के पश्चात् यह दावा किया है कि एशियाई मानसून प्रणाली के कारण दक्षिण महासागर में दक्षिण-पूर्व की ओर चलने वाली हवाएं प्रशांत व अटलांटिक महासागर की तुलना में काफी तेज चल रही है।
जिसके कारण ये हवाएं प्लास्टिक के अवशेष को पश्चिम की ओर धकेल देती है। यूडब्ल्यूए कि ही एक अन्य छात्रा पैट्टीराची ने बताया कि अभी तक ऐसी कोई तकनीक विकसित नहीं हुई है जिससे दूरदराज की प्लास्टिक अवशेष का पता लगाया जा सके,इसके लिए उन्हें परोक्ष तरिकों को अपनाना होगा।
पैट्टीराची ने यह भी अनुमान लगाया है कि हर वर्ष लगभग 1.5 करोड़ टन प्लास्टिक के अवशेष नदियों के माध्यम से समुद्र में आता है। जो कि वर्ष 2025 तक बढ़कर दोगुना होने की संभावना है।