स्वास्थ्य मंत्रालय इन दिनों मेनिनजाइटिस के टीके की कमी से जूझ रहा है। इन टीकों को हज तीर्थयात्रियों को लगाया जाता है। इसकी मुख्य वजह इसका निर्माण करने वाली देश की अकेली कंपनी को पिछले साल उस समय उत्पादन बंद करने का आदेश दिया गया था जब उसके पोलियो वैक्सीन में सम्मिश्रण का पता चला था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इप-2 पोलियो वायरस वैक्सीन में सम्मिश्रण का पता चलने के बाद इस तरह की वैक्सीन बनाने वाली देश की अकेली कंपनी को मानव संबंधी सभी टीकों का उत्पादन बंद करने के लिए कहा गया था। गाजियाबाद स्थित दवा निर्माता कंपनी बायोमेड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मंत्रालय अब दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहा है।
1.27 लाख लोगों के हज जाने की संभावना
गौरतलब है कि इस साल जुलाई में 1.27 लाख लोगों के हज पर जाने की संभावना है। इसके लिए मंत्रालय को 1.47 लाख खुराक की व्यवस्था करनी होगी। अतिरिक्त संख्या में टीके इसलिए मंगाए जाते हैं, क्योंकि राज्यों को भेजे जाने के दौरान कुछ टीके अप्रभावी हो जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय टीकों का आयात करने वाली दो कंपनियों से पहले से ही बात कर रहा है।
सबसे खास बात यह है कि बायोमेड प्राइवेट लिमिटेड से मंत्रालय को जो वैक्सीन मिलती थी उन पर प्रति खुराक 250 रुपये का खर्च आता था, लेकिन नई परिस्थितियों में प्रति खुराक 1500 रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं। दरअसल, उमरा और हजयात्रा के उद्देश्य से सऊदी अरब जाने वाले लोगों को वहां पहुंचने पर इस बात का प्रमाणपत्र देना होता है कि उनको लगाया गया टीका तीन साल पुराना नहीं है और सऊदी अरब आने से 10 दिन पहले नहीं लगाया गया था।