इंदौर। भारतीय जनता पार्टी इन दिनों इंदौर लोकसभा सीट पर दावेदारों की भीड़ के चलते हलाकान है। भाजपा पहली बार यहां टिकट घोषित करने की माथा-पच्ची में अब तक उलझी है। बीते आठ चुनावों से भाजपा की अजेय सीट इंदौर से पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और बाद में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के चुनाव लडऩे से इनकार करने के बाद यहां से हर छोटा-बड़ा नेता खुद को लोकसभा के लिए बेहतर दावेदार बताते हुए भोपाल-दिल्ली के चक्कर लगा रहे हंै। मध्यप्रदेश के प्रभारियों ने हर दिन आने वाली नेताओं की भीड़ देखकर आदेश जारी किया है कि बगैर समय लिए कोई मिलने नहीं आएगा। साथ ही अपनी दावेदारी भी संगठन के माध्यम से ही प्रस्तुत करेगा। उधर कांग्रेस ने न सिर्फ पंकज संघवी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है बल्कि जोर-शोर से प्रचार भी शुरू कर दिया है। लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर से आठ बार की सांसद सुमित्रा महाजन पहले यही मानकर चल रही थीं कि उन्हें ही टिकट मिलेगा। कार्यकर्ता भी आश्वस्त थे कि ताई आसानी से सीट जीत लेंगी। महाजन ने नगर अध्यक्ष गोपी नेमा और चुनाव संयोजक रमेश मेंदोला के साथ चार विधानसभा क्षेत्रों में मंडल व वार्ड स्तर की बैठकें भी ले ली थीं।
इसी दौरान राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह के 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़वाने के बयान और टिकट में हो रही देरी को देखते हुए ताई ने चि_ी लिखकर चुनाव नहीं लडऩे का एलान कर दिया। इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को यहां से सबसे सशक्त दावेदार माना जा रहा था। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में समान नेटवर्क की वजह से स्थानीय और प्रदेश संगठन के नेता भी उन्हें उपयुक्त उम्मीदवार मानकर तैयारी में जुट गए थे, लेकिन उन्होंने भी ट्वीट कर पश्चिम बंगाल में व्यस्त होने का हवाला देकर चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर डाली। बस इसके बाद से ही इंदौर लोकसभा सीट के लिए दावेदारों की भीड़ लग गई है।