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छत्तीसगढ़ : कुल्हड़ में लस्सी और तांबे के पतीले में पक रहे व्यंजन, होटल-मोटल का बदला जायका

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रायपुर। होटल स्वाद का जायका देने के लिए तरह-तरह अनूठे तरीके अपना रहे हैं। इनमें अब राजधानी के पांच सितारे होटलों पारंपरिक विधियों को अपना रहे हैं। कहीं कुल्हड में लस्सी मिल रही हैं तो कहीं ताबें के पतेले में पकवान पक रहे हैं। जायका बदलने के लिए पांच सितारे होटल तरह-तरह की मशक्कत कर रहे हैं।

होटलों के सैफ का मानना है कि ग्राहकों को ग्रामीण परिवेश काफी खींच रहा है। लोगों की मांग आ रही है कि होटलों में गांव के परिवेश में व्यंजन का लुत्फ मिले। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर अनोखी विधियों को ईजाद किया जा रहा है। इनमें मटकी में सब्जी बनाना। तांबे के गिलास का उपयोग और तांबें के बर्तनों में खाना ग्राहकों को भा रहा है।

रेस्ट्रोरेंट सज रहे हैं गांव के परिवेश में

पांच सितारा होटलों के रेस्ट्रोरेंट को गांव के परिवेश में सजाया जा रहा है। ग्राहकों की डिमांड के अनुसार एसी की ठंडक में प्रतीकात्मक पेड़ की छाया में व्यंजनों का लुत्फ ग्राहकों को भा रहा है।

होटल कोटयार्ड मैरियेट के सैफ बताते हैं कि पूरे साल में पांच से छह महीने गांव के परिवेश में ही होटल के रेस्ट्रोरेंट का संचालन किया जा रहा है। गर्मी के सीजन को ध्यान में रखकर इस बार राजस्थान के परिवेश में रेस्ट्रोरेंट चलाया जा रहा है। ग्राहकों को मारवाड़ की पृष्ठभूमि के साथ-साथ वहां के व्यंजनों को भी परोसा जा रहा है। वहां के खान-पान से लेकर व्यंजनो की खासियत को भी बताया जा रहा है।

मिट्टी के बर्तन में पक रहा है भोजन

व्यंजनों में सौंधी खूशबू के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जा रहा है। इसमें व्यंजन को बनाने से लेकर उसको सजाने तक में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जा रहा है। होटल के प्रबंधकों का कहना है कि लोग अब खाने के साथ-साथ पारंपरिक पात्रों में भोजन करना पसंद कर रहे हैं। इन्हीं कारणों से इनका उपयोग किया जा रहा है।