रायपुर। चुनावी बिसात में सिपहसालार जंग जीतने के लिए मतदाताओं के बीच अपनापन जता रहे हैं। प्रचार के दौरान खान-पान की भी व्यवस्था देख रहे हैं। कई प्रत्याशियों ने बताया कि रात में चने भिगोकर रख देते हैं और सुबह उसे ही चबाकर निकल जाते हैं। कोई प्रत्याशी का कहना है कि एक रोटी खाकर ही निकल जाते हैं। इतना ही नहीं, प्रत्याशियों का कहना है कि जागने का समय अधिक होने से ऐसा लगता है कि दिन दोगुना हो गया है और रात छोटी हो गई है। घर की एक रोटी और गांव वालों का भात, फिर खुली पलकों में प्रत्याशियों की रातें भी गुजर रहीं…। रायपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले कुछ प्रत्याशियों का हाल कुछ ऐसा ही है।
नींद में कर ली प्रत्याशियों ने कटौती
रायपुर लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों ने प्रचार-प्रसार के लिए एक हफ्ते का समय प्रबंधन कर लिया है। प्रचार-प्रसार का यह भी एक आकर्षक तौर-तरीका माना जा रहा है, जिसमें प्रत्याशी विभिन्न वर्ग के लोगों के साथ बैठकर भोजन कर रहे हैं। सुबह से लेकर शाम तक कोई परंपरागत तरीके पर भरोसा जताकर अपने पक्ष में मतदान के लिए आग्रह कर रहा है तो कुछ प्रत्याशी बगैर शोर-शराबे के घर-घर दस्तक दे रहे हैं।
कुछ प्रत्याशी तो नाचगाना, नुक्कड़ के बाद भाषण दे रहे हैं। निर्दलीय प्रत्याशी इकराम सैफी कहते हैं कि पहले गांव वालों को अपना मकसद बताने के लिए नुक्कड़ सभा कर लेते हैं, फिर भाषण देते हैं।
इसी तरह रिपब्लिकन पार्टी की निर्दलीय प्रत्याशी देवकी दुबे कहती हैं कि वह दिन भर महिलाओं की टोली लेकर घर-घर घूम रही हैं। सभी के सोने और जागने के समय में बदलाव हो गया है
सोनी को भा रहा गांव का भात भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मेयर सुनील सोनी अपने घर से एक रोटी खाकर निकल रहे हैं। उन्होंने अपनी नींद में कटौती कर ली है। उन्हें बमुश्किल तीन घंटे की नींद मिल रही है। गांव भ्रमण के दौरान किसी के घर भात खाकर आगे निकल जाते हैं और धूप में शरीर में पानी कम न हो इसके लिए इलेक्ट्रॉल साथ लेकर चल रहे हैं।
इलेक्ट्राल पाउडर के सहारे धूप से लड़ाई कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद दुबे कहीं पूड़ी तो कभी गांव वालों के बीच बैठकर ही भोजन करके गुजारा कर रहे हैं। आम दिनों में छह से सात घंटे की नींद लेने वाले प्रत्याशी के पास चुनावी माहौल में न तो नींद लेने का वक्त है न ही आराम करने का। तेज धूप में लोगों से मेलमिलाप के दौरान इलेक्ट्रॉल भी साथ लेकर चल रहे हैं।
अब बदल गये हैं इस सीट के समीकरण
रायपुर लोकसभा सीट पर वर्ष 1989 से 2014 तक हुए आठ चुनावों में सिर्फ एक बार 1991 में कांग्रेस को जीत मिली थी। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के अंदर आने वाली नौ सीटों में कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत मिली थी।
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि रायपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा की साख ज्यादा मजबूत थी। लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। बलौदाबाजार में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे, भाटापारा में भाजपा, धरसींवा में कांग्रेस, रायपुर ग्रामीण में कांग्रेस, रायपुर पश्चिम में कांग्रेस, रायपुर दक्षिण में भाजपा, रायपुर शहर में कांग्रेस और अभनपुर में भी कांग्रेस के विधायक हैं।