छत्तीसगढ़ के किसानों को बहुत जल्द उनका पसंदीदा धान दुबराज मिलने लगेगा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई की मदद से तैयार दुबराज की इस नई प्रजाति को छत्तीसगढ़ ट्रांबेम्यूटन के नाम से जाना जाएगा। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ देवभोग के नाम एक और प्रजाति भी नोटिफाई हो चुकी है। सफलता यही नहीं रुकती। वैज्ञानिकों ने ‘जिंक राइस-टू’ और ‘छत्तीसगढ़जिंक राइस एम एस नाम की दो और नई प्रजाति तैयार की हैं। यह दोनों प्रजातियां भी नोटिफाई हो चुकी है।
कृषि के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक अब पहचान के मोहताज नहीं रहे। साल-दर-साल नए-नए अनुसंधान के दम पर उसने कई ऐसी प्रजातियां तैयार की हैं जिन्हें देश के कोने कोने में बसे किसान खेतों में पहुंचा चुके हैं और उत्पादन का कीर्तिमान बना रहे हैं। ताजा कड़ी में विश्वविद्यालय ने धान की चार नई प्रजाति तैयार करने में सफलता हासिल की है जो आने वाले दिनों में किसानों को न केवल भरपूर उत्पादन देगा बल्कि आय बढ़ाने में भी मदद करेगा। कोई दो दशक पहले अपने प्रदेश में दुबराज की खेती बड़े रकबे में की जाती थी। बदलते समय के बीच किसानों का ध्यान ज्यादा उत्पादन देने वाली प्रजातियों की ओर बढ़ा है। इसी बढ़ते हुए रुझान के बाद दुबराज की खेती तेजी से बंद होती चली गई। एक समय ऐसा भी आया जब इसकी खेती पूरी तरह खत्म हो गई। इस स्थिति के बाद भी वैज्ञानिकों ने हार नहीं मानी और दुबराज की वापसी की तैयारी शुरू कर दी। इसमें मददगार बना भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुंबई। उसकी मदद से दुबराज की ऐसी प्रजाति तैयार करने में सफलता मिल ही गई। रिसर्च के बाद भेजी गई रिपोर्ट अधिसूचित होते ही अब खेतों तक पहुंचने को तैयार है। इसे छत्तीसगढ़ ट्रांबेम्यूटन दुबराज नाम दिया गया है। अधिसूचित हुई सुगंधित हिस्सों में दूसरी प्रजाति छत्तीसगढ़ देवभोग है। सुगंधित धान की यह दोनों प्रजातियां 130 से 135 दिनों में तैयार हो जाएगी।
जिंक राइस 2 और एम-एस भी
बारीक धान की किस्मों में जिंक राइस की सफलता के बाद जल्द ही प्रदेश के किसानों को बारीक धान की किस्मों में छत्तीसगढ़ जिंक राइस दो और छत्तीसगढ़ जिंक राइस एम एस भी प्रदेश के खेतों में पहुंचने को तैयार हैं। कोई दो बरस पहले पहुंचे जिंक राइस की सफलता के बाद यह दोनों प्रजाति इसकी ही उन्नत प्रजातियां हैं। केवल नम भूमि में तैयार हो जाने वाली धान की इस प्रजाति को जल भराव क्षमता नहीं होने वाली भूमि के लिए तैयार किया गया था। नई प्रजाति भी इस विशेषता से युक्त हैं। यह भी 130 से 135 दिन में तैयार होगी।
वर्जन
मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर कि मदद से दुबराज की नई प्रजाति अधिसूचित की जा चुकी है। बहुत जल्द यह ‘छत्तीसगढ़ ट्रांबेम्यूटन दुबराज’के नाम से किसानों के हाथों में होगी। सुगंधित धान में एक और प्रजाति तैयार हो चुकी है इसे छत्तीसगढ़ देवभोग के नाम से जाना जाएगा। बारिक प्रजातियों में जिंक राइस 2 और छत्तीसगढ़ जिंक राइस एम एस भी नोटिफाई हो चुकी है।
डॉ एके सरावगी
प्रोफेसर एंड हेड, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग
इंदिरा गांधी कृषि विवि रायपुर