सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष को देश का पहला लोकपाल बनाने की सिफारिश की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, प्रख्यात कानूनविद मुकुल रोहतगी की चयन समिति ने उनका नाम तय किया और उनके नाम की सिफारिश की। इसे लेकर सोमवार को आधिकारिक घोषणा हो सकती है।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने जस्टिस घोष की नियुक्ति से जुड़ी फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी है। लोकपाल भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली संस्था है। इस कमेटी में एक चेयरमैन, एक न्यायिक सदस्य और एक गैर न्यायिक सदस्य होते हैं। जस्टिस घोष मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे और फिलहाल राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के सदस्य हैं। बता दें कि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल कमिटी की बैठक में हिस्सा लेने से इनकार करते हुए सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया था। हालांकि, तमाम विरोध के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने चुनावों से पहले लोकपाल नियुक्त करने का फैसला किया है।
खड़गे की नाराजगी, अन्ना ने किया स्वागत
मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल चयन समिति की बैठक में शामिल होने की सरकार की पेशकश को लगातार सातवीं बार खारिज करते हुए कहा था कि ‘विशेष आमंत्रित सदस्य’ के लोकपाल चयन समिति का हिस्सा होने या इसकी बैठक में शामिल होने का कोई प्रावधान नहीं है। वहीं केंद्र सरकार के इस फैसले का अन्ना हजारे ने स्वागत किया है और इसे 48 साल की जनता की लड़ाई का नतीजा करार दिया है।
कौन हैं जस्टिस पीसी घोष
जस्टिस पीसी घोष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं। वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे हैं। वह अपने फैसलों में मानवाधिकारों की रक्षा की बात बार-बार करते थे। जस्टिस घोष को मानवाधिकार कानूनों पर उनकी बेहतरीन समझ और विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। वह एनएचआरसी के सदस्य भी हैं।
28 मई 1952 को जन्में पीसी घोष का पूरा नाम पिनाकी चंद्र घोष है और वो जस्टिस शंभू चंद्र घोष के बेटे हैं। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीकॉम और यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता से एलएलबी की पढ़ाई की है। वे कलकत्ता हाईकोर्ट के अटॉर्नी एट लॉ भी बने थे। वे साल 1997 में कलकत्ता हाईकोर्ट के जज बने और उसके बाद दिसंबर 2012 में उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। दो साल पहले मई 2017 में घोष सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए थे और वो 2013 से 2017 तक सुप्रीम कोर्ट के जज रहे।
सुप्रीम कोर्ट के जज के तीन साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए थे। उनके इन फैसलों में तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की सहयोगी रही शशिकला को लेकर दिया गया फैसला भी शामिल है। दरअसल उन्होंने शशिकला को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया था।